कार्य तथा उर्जा
नवमी विज्ञान
सारांश
(1) विज्ञान के अनुसार कार्य की परिभाषा इस प्रकार दी जा सकती है, 'जब कोई वस्तु बल लगाने के कारण विस्थापित होता है, तो कहा जाता है कि कार्य हुआ।'
(2) अत: वैज्ञानिक दृष्टि से कार्य होने के लिए दो शर्तों का होना अनिवार्य है।
(a) किसी वस्तु पर बल का लगाया जाना, तथा
(b) वस्तु का विस्थापित होना, अर्थात वस्तु का बल के परिणाम के रूप में कुछ दूरी तय करना।
यदि उपरोक्त दोनों शर्तों में से किसी एक के नहीं होने की स्थिति में वैज्ञानिक दृष्टि से कार्य नहीं होगा।
(3) बल तथा विस्थापन का गुणनफल ही किया गया कार्य है।
अर्थात, किया गया कार्य = बल × विस्थापन
⇒ W = F s
अत: कार्य की परिभाषा इस प्रकार दी जा सकती है कि, किसी वस्तु पर लगने वाले बल द्वारा किया गया कार्य बल के परिमाण तथा बल की दिशा में चली गई दूरी के गुणनफल के बराबर होता है। कार्य में केवल परिमाण होता है तथा कोई दिशा नहीं होती।
चूँकि कार्य वस्तु पर लगाये गये बल तथा उसके विस्थापन के गुणनफल के बराबर होता है, अत: बल या विस्थापन किसी भी एक के शून्य होने पर किया गया कार्य शून्य के बराबर हो जायेगा।
(4) कार्य का एस आई मात्रक N m (न्यूटन मीटर) है।
कार्य की इकाई N m (न्यूटन मीटर) को जूल (J) भी कहा जाता है।
(5) 1 J किसी वस्तु पर किए गए कार्य की वह मात्रा है जब 1 N का बल वस्तु को बल की क्रिया रेखा की दिशा में 1 m विस्थापित कर दे।
(6) चूँकि कार्य का केवल परिणाम होता है तथा कोई दिशा नहीं होती है, अत: कार्य एक अदिश राशि (स्कैलर क्वांटिटि) है।
(7) Positive Work जब वस्तु के विस्थापन की दिशा में बल लग रहा हो, तो वस्तु पर किया गया कार्य धनात्मक होता है।
(8) Negative Work जब वस्तु के विस्थापन की विपरीत दिशा में बल लगाया जाता है, तो किया गया कार्य ऋणात्मक होता है।
(9) कार्य करने की क्षमता को उर्जा के रूप में परिभाषित किया जाता है।
या, कार्य करने की क्षमता को उर्जा कहते हैं।
एक वस्तु जिसमें उर्जा है, वह कार्य कर सकती है। या दूसरे शब्दों में यदि वस्तु कार्य कर सकती है, तो उसमें उर्जा है।
एक वस्तु जिसके द्वारा कार्य किया जाता है, के उर्जा का ह्रास होता है, तथा वह वस्तु जिसपर कार्य होता है, द्वारा उर्जा ग्रहण की जाती है।
(10) उर्जा की एस आई मात्रक जूल (J) है।
(11) 1 जूल कार्य करने में आवश्यक उर्जा को 1 जूल उर्जा कहते हैं।
(12) किलो जूल (kJ) उर्जा की बड़ी इकाई है।
(13) उर्जा कई प्रकार की होती है। जैसे यांत्रिकी उर्जा (मिकेनिकल एनर्जी), रासायनिक उर्जा (केमिकल एनर्जी), स्थितिज उर्जा (पोटेंशियल एनर्जी), गतिज उर्जा (काइनेटिक एनर्जी), उष्मीय उर्जा (हीट एनर्जी), प्रकाश उर्जा (लाइट एनर्जी), ध्वनि उर्जा (साउंड एनर्जी), आदि।
स्थितिज उर्जा तथा गतिज उर्जा साथ मिलकर यांत्रिकी उर्जा बन जाते हैं।
(14) 'काइनेटिक' शब्द ग्रीस के 'काइनेसिस (Kinesis)' से आया है, जिसका अर्थ होता है 'गति'। उसके अनुसार शब्द 'काइनेटिक एनर्जी (Kinetic energy)' का अर्थ हो जाता है " गति के कारण उत्पन्न उर्जा या गति से उत्पन्न उर्जा"
किसी वस्तु में उसकी गति के कारण निहित उर्जा को गतिज उर्जा कहते हैं।
एक चलती हुई वस्तु कार्य कर सकती है। एक तेजी से चलती हुई वस्तु किसी धीरे चलती हुई वस्तु की अपेक्षा अधिक कार्य कर सकती है।
(15) एक वस्तु जो गति में होती है, में उर्जा निहित होती है और यह उर्जा गतिज उर्जा कहलाती है।
(16) m द्रव्यमान की तथा एकसमान वेग v से गतिशील वस्तु की गतिज उर्जा (काइनेटिक एनर्जी) का मान
(17) किसी वस्तु द्वारा इसकी स्थिति अथवा विन्यास में परिवर्तन के कारण प्राप्त उर्जा को स्थितिज उर्जा (पोटेंशियल एनर्जी) कहते हैं।
(18) भूमि से उपर किसी बिन्दु पर किसी वस्तु की गुरूत्वीय स्थितिज उर्जा को, वस्तु को भूमि से उस बिन्दु तक उठाने में गुरूत्वीय बल के विरूद्ध किए गए कार्य द्वारा परिभाषित किया जाता है।
जब वस्तु को किसी ऊँचाई तक उठाया जाता है, तो उसकी उर्जा में बृद्धि होती है, क्योंकि वस्तु को ऊपर किसी बिन्दु तक उठाने में गुरूत्व बल के विरूद्ध वस्तु पर कार्य किया जाता है। अत: वस्तु में जमीन से ऊपर किसी बिन्दु पर विद्यमान उर्जा को गुरूत्वीय स्थितिज उर्जा कहते हैं।
(19)किसी वस्तु की स्थितिज उर्जा (EP), EP = mgh
गुरूत्वीय बल द्वारा किया गया यह कार्य वस्तु की प्रारंभिक तथा अंतिम ऊँचाईयों के अंतर पर निर्भर करता है, तथा उस रास्ते पर निर्भर नहीं है, जिसपर वस्तु ने गति की है।
(20) उर्जा संरक्षण का नियम के अनुसार, उर्जा केवल एक रूप से दूसरे रूप में रूपांतरित हो सकती है; उर्जा की न तो उत्पत्ति की जा सकती है और न ही विनाश।
उर्जा के रूपांतरण से पहले तथा रूपांतरण के पश्चात कुल उर्जा सदैव अचर रहती है।
उर्जा संरक्षण का नियम प्रत्येक स्थिति तथा सभी प्रकार के रूपांतरणों में मान्य है।
(21) कार्य करने की दर या उर्जा रूपांतरण की दर को पावर या शक्ति कहते हैं।
यदि कोई एजेंट t समय में W कार्य करते है, तो शक्ति (P)
शक्ति = कार्य / समय
या, `P = W/t`
(22) औसत शक्ति की गणना कुल उपयोग की गई उर्जा को कुल लिए गये समय से विभाजित कर की जा सकती है।
अर्थात, औसत शक्ति = कुल उपयोग की गई उर्जा / लिया गया कुल समय
(23) उर्जा का एक बड़ा मात्रक किलोवाट घंटा है। किलोवाट घंटा को "kW h" से व्यक्त किया जाता है।
1 kW = 1000 J s–1
यदि एक मशीन एक सेकेंड में 1000 जूल (1000 J s–1) उर्जा का उपयोग करती है, तथा यह मशीन एक घंटा कार्य करती है, तो यह मशीन 1 किलोवाट घंटा (1 kW h) उर्जा का व्यय करेगी।
अर्थात एक किलोवाट घंटा (1 kWh) उर्जा की वह मात्रा है जो 1 kW के किसी मशीन को एक घंटे तक उपयोग में लाने में व्यय होगी।
1 kW h = 1 kW × 1 h
= 1000 W × 3600 s
= 3600000 J
1 kW h = 3.6 × 106 J
घरों, फैक्ट्रियों तथा अन्य व्यावसायिक संस्थानों में व्यय होने वाली उर्जा यथा विद्युत उर्जा को किलोवाट घंटा में मापा जाता है।
इस किलोवाट घंटा को प्राय: "यूनिट" कहा जाता है।
अर्थात , 1 यूनिट उर्जा का अर्थ है 1 किलोवाट घंटा (1 kW h) उर्जा
1 यूनिट विद्युत उर्जा = 1 किलोवाट घंटा (1 kW h)
Reference: