कार्य तथा उर्जा
नवमी विज्ञान
एनसीईआरटी अभ्यास के प्रश्नों का हल
प्रश्न संख्या (1) निम्न सूचीबद्ध क्रियाकलापों को ध्यान से देखिए। अपनी कार्य शब्द की व्याख्या के आधार पर तर्क दीजिए कि इनमें कार्य हो रहा है अथवा नहीं।
(a) सूमा एक तालाब में तैर रही है।
(b) एक गधे ने अपनी पीठ पर बोझा उठा रखा है।
(c) एक पवन चक्की (विंड मिल) कुएँ से पानी उठा रही है।
(d) एक हरे पौधे में प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया हो रही है।
(e) एक ईंजन ट्रेन को खींच रहा है।
(f) अनाज के दाने सूर्य की धूप में सूख रहे हैं।
(g) एक पाल नाव पवन उर्जा के कारण गतिशील है।
उत्तर
हम जानते हैं कि किया गया कार्य (W) = बल (F) × विस्थापन (s)
अर्थात वैज्ञानिक दृष्टिकोण से कार्य होने के लिए दो शर्तों का होना अनिवार्य है। पहला वस्तु पर बल का लगना अनिवार्य है तथा दूसरा वस्तु का विस्थापन अनिवार्य है।
चूँकि, किया गया कार्य (W) = बल (F) × विस्थापन (s)
अत: बल या विस्थापन किसी के भी शून्य होने पर किया गया कार्य शून्य हो जायेगा।
(a) सूमा एक तालाब में तैर रही है।
उत्तर:
तैरने के क्रम में पानी पर बल लगाया जाता है, तथा विस्थापन होता है, अत: कार्य हो रहा है।
अत: जब सूमा तालाब में तैर रही है, तो कार्य हो रहा है।
(b) एक गधे ने अपनी पीठ पर बोझा उठा रखा है।
हल:
इसमें दो स्थिति हो सकती है।
(i) यदि गधे ने पीठ पर बोझा उठाकर एक ही जगह खड़ा है, तो विस्थापन शून्य होगा। इस स्थिति में कार्य नहीं हो रहा है।
(ii) दूसरी स्थिति में यदि गधा बोझ के साथ थोड़ा भी चल रहा है, अर्थात यदि विस्थापन हो रहा है, तब कार्य हो रहा है।
(c) एक पवन चक्की (विंड मिल) कुँए से पानी उठा रही है।
Answer: यहाँ बल की दिशा में विस्थापन हो रहा है, अत: कार्य हो रहा है।
(d) एक हरे पौधे में प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया हो रही है।
Answer:प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में चूँकि कोई विस्थापन नहीं हो रहा है, अत: वैज्ञानिक दृष्टिकोण से कार्य नहीं हो रहा है।
(e) एक ईंजन ट्रेन को खींच रहा है।
Answer: ईंजन द्वारा ट्रेन के खींचने में बल लग रहा है, तथा बल की दिशा में विस्थापन भी हो रहा है, अत: कार्य हो रहा है।
(f) अनाज के दाने सूर्य की धूप में सूख रहे हैं।
उत्तर: यहाँ चूँकि कोई बल नहीं लग रहा है तथा न ही विस्थापन हो रहा है, अत: कार्य नहीं हो रहा है।
(g) एक पाल नाव पवन उर्जा के कारण गतिशील है।
Answer:यहाँ चूँकि हवा द्वारा बल लगाया जा रहा है, जिससे नाव का विस्थापन हो रहा है, अत: कार्य हो रहा है।
प्रश्न संख्या (2) एक पिंड को धरती से किसी कोण पर फेंका जाता है। यह एक वक्र पथ पर चलता है और वापस धरती पर आ गिरता है। पिंड के पथ के प्रारम्भिक तथा अंतिम बिन्दु एक ही क्षैतिज रेखा पर स्थित हैं। पिंड पर गुरूत्व बल द्वारा कितना कार्य किया गया ?
हल : गुरूत्व बल के कारण किया गया कार्य क्षैतिज विस्थापन पर निर्भर करता है।
यहाँ क्षैतिज विस्थापन, अर्थात h = 0
हम जानते हैं कि किया गया कार्य (W) = mgh
चूँकि यहाँ, h =0, अत:, किया गया कार्य = mg × 0 = 0
अत: दिये गये स्थिति में गुरूत्व बल के विरूद्ध किया गया कार्य = 0 उत्तर
प्रश्न संख्या (3) एक बैट्री बल्ब जलाती है। इस प्रक्रम में होने वाले उर्जा परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
बैट्री से बल्ब के जलने के क्रम में सर्वप्रथम बैट्री में वर्तमान रासायनों के बीच प्रतिक्रिया होती है, अर्थात रासायनिक उर्जा से विद्युत उर्जा बनती है। विद्युत उर्जा से बल्ब जलता है जिससे प्रकाश उर्जा तथा उष्मा उर्जा निकलती है।
अर्थात बैट्री की रासायनिक उर्जा विद्युत उर्जा में परिवर्तित होती है। विद्युत उर्जा बल्ब को जलाकर प्रकाश उर्जा तथा उष्मा उर्जा में परिवर्तित होती है।
रासायनिक उर्जा → विद्युत उर्जा → प्रकाश उर्जा + उष्मा उर्जा
प्रश्न संख्या (4) 20 kg द्रव्यमान पर लगने वाला कोई बल इसके वेग को 5 m s–1 से 2 m s–1 में परिवर्तित कर देता है। बल द्वारा किए गए कार्य का परिकलन कीजिए।
उत्तर:
दिया गया है, m = 20 kg
प्रारम्भिक वेग (u) = 5 m/s
अंतिम वेग (v) = 2 m/s
अत: किया गया कार्य =?
हम जानते हैं कि किया गया कार्य = गतिज उर्जा में परिवर्तन
हम जानते हैं कि गतिज उर्जा में परिवर्तन
= 10 × (4 – 25) J
= 10 × (– 21) J
= – 210 J
अत: किया गया कार्य = गतिज उर्जा में परिवर्तन = – 210 J उत्तर
प्रश्न संख्या ( 5) 10 kg द्रव्यमान का एक पिंड मेज पर A बिन्दु पर रखा है। इसे B बिन्दु तक लाया जाता है। यदि A तथा B को मिलाने वाली रेखा क्षैतिज है तो पिंड पर गुरूत्व बल द्वारा किया गया कार्य कितना होगा? अपने उत्तर की ब्याख्या कीजिए।
उत्तर:
यहाँ किया गया कार्य शून्य होगा। चूँकि बल विस्थापन के लम्बबत है। अर्थात विस्थापन की दिशा तथा बल आपस में लम्ब है। तथा हम जानते हैं कि लगने वाला बल तथा विस्थापन आपस में लम्ब होने पर किया गया कार्य शून्य हो जाता है।
दूसरा यहाँ दिया गया है, गुरूत्व बल के विरूद्ध विस्थापन अर्थात ऊँचाई, h = 0
तथा, द्रव्यमान, m = 10 kg
अत: किया गया कार्य = ?
हम जानते हैं कि गुरूत्व बल के विरूद्ध किया गया कार्य, W = mgh
⇒ W = 10 kg × g × 0
⇒ W = 0
अत: किया गया कार्य = 0 उत्तर
प्रश्न संख्या (6) मुक्त रूप से गिरते एक पिंड की स्थितिज उर्जा लगातार कम होती जाती है। क्या यह उर्जा संरक्षण नियम का उल्लंघन करती है। कारण बताइए।
उत्तर: नहीं। मुक्त रूप से गिरते एक पिंड की स्थितिज उर्जा का लगातार कम होना उर्जा संरक्षण नियम का उल्लंघन नहीं करती है।
मुक्त पतन के क्रम में जैसे जैसे वस्तु नीचे गिरती जाती है, वस्तु की गतिज उर्जा बढ़ती जाती है तथा वस्तु की स्थितिज उर्जा कम होती जाती है।
जब वस्तु धरती पर पहुँचने वाली होती है, अर्थात ऊँचाई, h = 0, हो जाती है, तब वस्तु की गतिज उर्जा अधिकतम तथा स्थितिज उर्जा न्यूनतम होती है।
लेकिन एक वस्तु के मुक्त पतन की प्रत्येक स्थिति में गतिज उर्जा तथा स्थितिज उर्जा का योग अचर होता है।
अर्थात, स्थितिज उर्जा + गतिज उर्जा = अचर
अत: मुक्त पतन के क्रम में प्रत्येक क्षण स्थितिज उर्जा का रूपांतरण गतिज उर्जा में होता रहता है। लेकिन किसी वस्तु के मुक्त पतन के प्रत्येक क्षण में कुल उर्जा अचर रहती है। अर्थात उर्जा के संरक्षण सिद्धांत का पालन होता है।
प्रश्न संख्या (7) जब आप साइकिल चलाते हैं तो कौन कौन से उर्जा रूपांतरण होते हैं?
Answer: साइकिल चलाने में पैडल मारने में सर्वप्रथम पेशीय उर्जा गतिज उर्जा में रूपांतरित होती है।
यह पैरों की गतिज उर्जा साइकल के पैडल को गतिज उर्जा देती है, जिससे पैडल चलने लगता है, जिससे साइकल के पहिए चलने लगते हैं। पैर, साइकल के पैडल तथा पहिया चलने के क्रम में कुछ उर्जा उष्मा उर्जा में भी परिवर्तित होता है।
पेशीय उर्जा → गतिज उर्जा + उष्मा उर्जा ⇒ गतिज उर्जा
प्रश्न संख्या (8) जब आप अपनी सारी शक्ति लगा कर एक बड़ी चट्टान को धकेलना चाहते हैं और इसे हिलाने में असफल हो जाते हैं तो क्या इस अवस्था में उर्जा का स्थानांतरण होता है ? आपके द्वारा व्यय की गई उर्जा कहाँ चली जाती है ?
उत्तर:
एक बड़ी चट्टान को धकेलने में उर्जा का स्थानांतरण चट्टान में नहीं होता है, क्योंकि चट्टान नहीं हिलती है, अर्थात चट्टान का विस्थापन शून्य होता है। और चूँकि विस्थापन शून्य है, अत: किया गया कार्य भी शून्य है।
इस बड़ी चट्टान को धकेलने की कोशिश में सारी पेशीय उर्जा उष्मा उर्जा में परिवर्तित होती रहती है।
प्रश्न संख्या (9) किसी घर में एक महीने में उर्जा की 250 यूनिटें व्यय हुईं। यह उर्जा जूल में कितनी होगी?
उत्तर:
हम जानते हैं कि, 1 यूनिट उर्जा = 1 kWh
तथा, 1 kWh = 3.6 x 106 J
अत:, 250 kWh = 250 x 3.6 x 106 J
= 9 x 108 J उत्तर
प्रश्न संख्या (10) 40 kg द्रव्यमान का एक पिंड धरती से 5 m की ऊँचाई तक उठाया जाता है। इसकी स्थितिज उर्जा कितनी है ? यदि पिंड को मुक्त रूप से गिरने दिया जाए तो जब पिंड ठीक आधे रास्ते पर है उस समय इसकी गतिज उर्जा का परिकलन कीजिए। (g = 10 m s–2)
उत्तर:
दिया गया है, द्रव्यमान (m) = 40 kg
तथा ऊँचाई (h) = 5 m
हम जानते हैं कि स्थितिज उर्जा, Ep = mgh
= 40 kg x 9.8 ms–2 x 5 m
अत: स्थितिज उर्जा = 1960 J
अब आधे रास्ते में, अर्थात जब ऊँचाई = 5/2 = 2.5 m
स्थितिज उर्जा = 1960 J/2 = 980 J
चूँकि उर्जा संरक्षण नियम के अनुसार किसी मुक्त पतन में कुल उर्जा अचर होती है।
अत: आधे रास्ते में गतिज उर्जा = स्थितिज उर्जा
अत: आधे रास्ते में गतिज उर्जा = 980 J उत्तर
प्रश्न संख्या (11) पृथ्वी के चारों ओर घूमते हुए किसी उपग्रह पर गुरूत्व बल द्वारा कितना कार्य किया जाएगा? अपने उत्तर को तर्कसंगत बनाइए।
उत्तर:
यदि वस्तु का विस्थापन तथा इसपर लगाया गया बल एक दूसरे के लम्बबत होता है, तब किया गया कार्य शून्य होता है।
यहाँ किसी उपग्रह पर लग रहा गुरूत्व बल तथा प्रत्येक क्षण उपग्रह का विस्थापन एक दूसरे के लम्बबत होता है, अत: किसी उपग्रह पर गुरूत्व बल द्वारा किया गया कार्य शून्य होगा।
प्रश्न संख्या (12) क्या किसी पिंड पर लगने वाले किसी भी बल की अनुपस्थिति में, इसका विस्थापन हो सकता है ? सोचिए। इस प्रश्न के बारे में अपने मित्रों तथा अध्यापकों से विचार विमर्श कीजिए।
उत्तर : हम जानते हैं कि एक समान गति की स्थिति में वस्तु पर कोई बाह्य बल नहीं लग रहा होता है।
अत: जब वस्तु की गति एकसमान हो, उस स्थिति में भी विस्थापन हो सकता है, जबकि कोई बाह्य बल नहीं लग रहा होता है।
प्रश्न संख्या (13) कोई मनुष्य भूसे के एक गठ्ठर को अपने सिर पर 30 मिनट रखे रहता है और थक जाता है। क्या उसने कुछ कार्य किया या नहीं ? अपने उत्तर को तर्कसंगत बनाइए।
उत्तर:
हम जानते हैं कि, किया गया कार्य (W) = बल (F) × विस्थापन (s)
जब एक मनुष्य भूसे के एक गठ्ठर को अपने सिर पर रखे रहता है, उस स्थिति में चूँकि विस्थापन शून्य होता है, अत: किया गया कार्य भी शून्य होगा।
अत: प्रश्न में दी गई स्थिति में, किया गया कार्य = 0 उत्तर
प्रश्न संख्या (14) एक विद्युत हीटर (उष्मक) की घोषित शक्ति 1500 W है। 10 घंटे में यह कितनी उर्जा उपयोग करेगा ?
उत्तर:
दिया गया है, शक्ति (P) = 1500 W
समय (t) = 10 h
अत: उर्जा की खपत = ?
हम जानते हैं कि व्यय की गई उर्जा = P × t
अत: व्यय की गई उर्जा = 1500 W x 10 h
= 15000 W h
अत: विद्युत हीटर द्वारा उपयोग की गई उर्ज = 15 kWh उत्तर
प्रश्न संख्या (15) जब हम किसी सरल लोलक के गोलक को एक ओर ले जाकर छोड़ते हैं तो यह दोलन करने लगता है। इसमें होने वाले उर्जा परिवर्तनों की चर्चा करते हुए उर्जा संरक्षण के नियम को स्पष्ट कीजिए। गोलक कुछ समय पश्चात विराम अवस्था में क्यों आ जाता है ? अंतत: इसकी उर्जा का क्या होता है ? क्या यह उर्जा संरक्षण नियम का उल्लंघन है?
उत्तर:
उर्जा संरक्षण नियम के अनुसार, उर्जा केवल एक रूप से दूसरे रूप में रूपांतरित हो सकती है; न तो इसकी उत्पत्ति की जा सकती है और न ही विनाश।
उर्जा संरक्षण के सिद्धांत को एक पेंडुलम के केस में देखा जा सकता है।
मान लिया कि चित्र में एक सरल लोलक (पेंडुलम) दिखाया गया है।
इस सरल लोलक (पेंडुलम) में A तथा B सबसे बायें तथा सबसे दायें दो स्थितियाँ है जबकि O बीच की स्थिति है।
जब पेंडुलम को बायीं बिन्दु A तथ खींचा जाता है, तब यह बायीं ओर अधिकतम ऊँचाई तक आ जाता है। इस समय इसकी स्थितिज उर्जा अधिकतम तथा गतिज उर्जा शून्य होती है।
A बिन्दु से पेंडुलम को फ्री छोड़ने के बाद, यह बीच के बिन्दु O पर पहुँचता है, जहाँ पर इसकी गतिज उर्जा अधिकतम तथा स्थितिज उर्जा शून्य हो जाती है।
इस मध्य बिन्दु से पेंडुलम गतिज उर्जा के कारण दायीं ओर अधिकतम ऊँचाई B बिन्दु पर पहुँचती है, जहाँ पर इसकी गतिज उर्जा शून्य तथा स्थितिज उर्जा अधिकतम हो जाती है।
पेंडुलम की कुल उर्जा अर्थात गतिज उर्जा तथा स्थितिज उर्जा योग प्रत्येक क्षण अचर रहता है, अर्थात यह उर्जा संरक्षण नियम का पालन करता है।
अब उर्जा संरक्षण के नियम के अनुसार पेंडुलम को कभी भी रूकना नहीं चाहिए। लेकिन हवा के प्रतिरोध के कारण पेंडुलम की कुछ उर्जा उष्मा उर्जा में बदलती रहती है, तथा धीरे धीरे पेंडुलम की सारी गतिज तथा स्थितिज उर्जा का योग उष्मा उर्जा में बद जाती है, और पेंडुलम रूक जाता है। लेकिन प्रत्येक स्थिति में सभी तरह की उर्जा, अर्थात गतिज उर्जा, स्थितिज उर्जा तथा उष्मा उर्जा का योग अचर रहता है। इस तरह एक पेंडुलम उर्जा संरक्षण नियम का पालन करता है।
प्रश्न संख्या (16) m द्रव्यमान का एक पिंड एक नियत वेग v से गतिशील है। पिंड पर कितना कार्य करना चाहिए कि यह विराम अवस्था में आ जाए?
हल :
दिया गया है; द्रव्यमान = m और वेग = v
अत: जैसा कि हम जानते हैं, गतिज उर्जा = ½ mv2
अब विराम अवस्था के लिए गतिज उर्जा शून्य होना चाहिए। अत: किया गया कार्य गतिज उर्जा के बराबर हो जायेगा।
अत: किया गया कार्य = गतिज उर्जा = ½ mv2 उत्तर
प्रश्न संख्या (17) 1500 kg द्रव्यमान की कार को जो 60 km/h के वेग से चल रही है, रोकने के लिए किए गए कार्य का परिकलन कीजिए ?
उत्तर:
दिया गया है, कार का द्रव्यमान (m) = 1500 kg
कार का वेग (v) = 60 km/h
या, v = 16.66 m/s
अत: कार को रोकने के लिए किया जाने वाल कार्य = ?
हम जानते हैं कि किया गया कार्य = कार की गतिज उर्जा
हम जानते हैं कि गतिज उर्जा = ½ mv2< /p>
= ½ 1500 x 16.672< /p>
= 208333.33 J
= 20.8 x 104 J
अत: कार को रोकने के लिए किया जाने वाला कार्य = 20.8 x 104 J उर्जा
प्रश्न संख्या (18) निम्न में से प्रत्येक स्थिति में m द्रव्यमान के एक पिंड पर एक बल F लग रहा है। विस्थापन की दिशा पश्चिम से पूर्व की ओर है जो एक लम्बे तीन से प्रदर्शित की गई है। चित्रों को ध्यानपूर्वक देखिए और बताइए कि कियाअ गया कार्य ऋणात्मक है, धनात्मक है या शून्य है।
उत्तर:
हम जानते हैं कि (a) यदि लगाया गया बल तथा वस्तु का विस्थापन एक दूसरे के लम्बबत हो, तो किया गया कार्य शून्य हो जाता है।
(b) यदि लगाया गया बल तथा वस्तु का विस्थापन एक ही दिशा में हो, तो किया गया कार्य धनात्मक होता है।
(c) यदि लगने वाले बल तथा वस्तु के विस्थापन की दिशा एक दूसरे के विपरीत हो, तो किया गया कार्य ऋणात्मक होता है।
अत:,
पहले चित्र में, चूँकि लगाया गया बल तथा वस्तु के विस्थापन की दिशा एक दूसरे के लम्बबत है, अत: किया गया कार्य शून्य है।
दूसरे चित्र में, चूँकि लगने वाले बल तथा विस्थापन की दिशा एक ही है, अत: किया जाने वाला कार्य धनात्मक होगा।
तीसरे चित्र में, चूँकि लगने वाला बल तथा विस्थापन की दिशा एक दूसरे के विपरीत है, अत: किया गया कार्य ऋणात्मक है।
प्रश्न संख्या (19) सोनी कहती है कि किसी वस्तु पर त्वरण शून्य हो सकता है चाहे उस पर कई बल कार्य कर रहे हों। क्या आप उससे सहमत हैं? बताइए क्यों?
उत्तर:
हाँ, मैं सोनी से सहमत हूँ।
क्योंकि एकसमान वेग की स्थिति में त्वरण शून्य होता है, जबकि उस समय उसपर कई बल कार्य कर रहा होता है।
प्रश्न संख्या (20) चार युक्तियाँ, जिनमें प्रत्येक की शक्ति 500 W है 10 घंटे तक उपयोग में लाई जाती हैं। इनके द्वारा व्यय की गई उर्जा kWh में परिकलित कीजिए।
हल:
दिया गया है; शक्ति (P) = 500 W
तथा समय (t) = 10 h
और युक्तियों की संख्या = 4
अत: व्यय की गई उर्जा =?
हम जानते हैं कि व्यय की गई उर्जा = शक्ति (P) x समय (t)
अत: एक युक्ति द्वारा व्यय की गई उर्जा = 500 W × 10 h
= 5000 W h
= 5 kWh
अत: सभी चारों युक्तियों द्वारा व्यय की गई उर्जा = एक युक्ति द्वारा व्यय की गई उर्जा × 4
= 5 kWh × 4 = 20 kWh
अत: कुल व्यय की गई उर्जा = 20 kWh उत्तर
प्रश्न संख्या (21) मुक्त रूप से गिरता एक पिंड अंतत: धरती तक पहुँचने पर रूक जाता है। इसकी गतिज उर्जा का क्या होता है?
उत्तर:
धरती पर टकाराने से पूर्व पिंड की स्थितिज उर्जा शून्य हो जाती है तथा गतिज उर्जा अधिकतम हो जाता है। धरती से टकराकर रूकने पर पिंड की सारी उर्जा ध्वनि उर्जा तथा उष्मा उर्जा में बदल जाती है।
Reference: