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नवमी विज्ञान
पदार्थ क्या है?
विश्व की प्रत्येक वस्तुएँ जिस सामग्री (Materiral) से बनी है, उसे पदार्थ (MATTER) कहते हैं।
वस्तुएँ जो कुछ स्थान घेरती है, अर्थात जिसका एक आयतन हो तथा उसका कुछ द्रव्यमान हो, पदार्थ कहलाती है।
प्राचीन काल के दार्शनिकों ने पदार्थ को पाँच मूल तत्वों में वर्गीकृत किया, तथा उसे पंचतत्व कहा गया। ये पाँच तत्व हैं: वायु, पृथ्वी, अग्नि, जल तथा आकाश।
आधुनिक वैज्ञानिकों ने पदार्थ को उनके भौतिक तथा रासायनिक गुणधर्मों के आधार पर दो भागों में वर्गीकृत किया है।
पदार्थ का भौतिक स्वरूप (Physical Nature of Matter)
पदार्थ कणों से मिलकर बना है (Matter is made up of Particles)
सभी पदार्थ छोटे-छोटे कणों से मिलकर बने हैं। ये कण इतने छोटे हैं कि इन्हें नंगी आँखों से नहीं देखा जा सकता। पदार्थ के छोटे-छोटे कणों से बने होने की सत्यता को कुछ छोटे क्रियाकलापों द्वारा परखा जा सकता है, जैसे कि जब नमक या चीनी को पानी में घोला जाता है, तो वे पानी में विलीन हो जाते हैं।
यह क्रियाकलाप बतलाता है कि पदार्थ छोटे-छोटे कणों से मिलकर बना है।
पदार्थ के ये कण कितने छोटे हैं ?
पदार्थ के ये कण इतने सूक्ष्म हैं कि इन्हें नंगी आखों से नहीं देखा जा सकता है।
जब डिटॉल की कुछ बूंदों को एक ग्लास पानी में डाला जाता है, तो वह पूरे पानी को दुधिया रंग में बदल देता है, यह क्रिया यह बतलाती है कि पदार्थ अति सूक्ष्म कणों से बने हैं।
पदार्थ के कणों के अभिलाक्षणिक गुण (Characteristics of Particles of Matter)
पदार्थ के कणों के बीच रिक्त स्थान होता है (Particles of Matter Have Space between Them)
पदार्थ सूक्ष्म कणों से बने होते हैं तथा उन कणों के बीच रिक्त स्थान होता है।
नमक या चीनी को जब पानी (जल) में घोला जाता है, तो वह जल में विलीन हो जाता ह। ऐसा इसलिये होता है कि नमक या चीनी के सूक्ष्म कण जल के सूक्ष्म कणों के बीच रिक्त स्थानों में समावेशित हो जाते हैं। यह दर्शाता है, कि पदार्थ के कणों के बीच पर्याप्त रिक्त स्थान होता है।
पदार्थ के कण निरंतर गतिशील होते हैं। (Particles of Matter Are Moving Continuously)
पदार्थ के कण निरंतर गतिशील होते हैं, अर्थात उनमें गतिज उर्जा होती है।
तापमान बढ़ने से पदार्थ के कणों की गतिज उर्जा बढ़ जाती है तथा कणों की गति तेज हो जाती है।
अर्थात पदार्थ के कणों की गतिज उर्जा तापमान के बढ़ने के साथ बढ़ती है तथा तापमान के घटने के साथ घटती है।
जब पोटैशियम परमैगनेट के एक छोटे टुकड़े को पानी में डाला जाता है, तो उस टुकड़े में से रेशों के आकार में पोटैशियम परमैगनेट घीरे घीरे जल में घुलने लगता है, जो यह दर्शाता है कि पदार्थ के कण निरंतर गतिशील होते हैं।
विसरण (Diffusion)
दो विभिन्न पदार्थों के कणों का आपस में स्वत: मिलना विसरण कहलाता है।
उदारहण:
(a) जब चीनी को पानी से भरे ग्लास में डालकर छोड़ दिया जाता है, तो बिना मिलाये ही कुछ समय पश्चात चीनी पानी में घुल जाता है। ऐसा विसरण के कारण होता है।
(b) जब घूपबत्ती को कमरे के एक कोने में जलाकर छोड़ दिया जाता है, तो कुछ ही समय पश्चात पूरे कमरे के घूपबत्ती की खुशबू फैल जाती है। ऐसा घूपबती के सुगंध वाले कणों का धुएँ के रूप में निकलकर हवा के कणों के साथ स्वत: मिलने अर्थात विसरण के कारण होता है।
पदार्थ के कण एक दूसरे को आकर्षित करते हैं (Particles of Matter Attract Each Other)
पदार्थ के कणों के बीच एक बल कार्य करता है जो पदार्थ के कणों को एक साथ जोड़े रखता है। पदार्थ के कणों के बीच यह आकर्षण बल का सामर्थ्य अलग अलग पदार्थों में अलग अलग होता है।
कुछ पदार्थों के कणों के बीच का यह आकर्षण बल काफी अधिक होता है तथा कुछ पदार्थों के कणों के बीच यह आकर्षण बल काफी कम होता है।
पदार्थ उनके कणों के बीच के आकर्षण बल के मजबूत या कमजोर होने के कारण ही कठोर या मुलायम होते हैं।
यथा लोहा काफी कठोर होता है, जबकि एक चॉक (खड़िया) का टुकड़ा कठोर नहीं होता। लोहे के टुकड़े को तोड़ने में काफी बल लगाना पड़ता है, जबकि एक चॉक के टुकड़े को आसानी से तोड़ा जा सकता है। ऐसा इसलिये होता है कि लोहे के कणों के बीच का आकर्षण बल काफी मजबूत तथा चॉक के कणों के बीच का आकर्षण बल काफी कमजोर होता है।
जैसे कि नल से निकल रहे जल के धार को किसी चीज से काट कर तोड़ा नहीं जा सकता है, क्योंकि जल के कण आपस में आकर्षण बल के कारण जुड़े होते हैं।
पदार्थ की अवस्थाएँ (States of Matter)
पदार्थ की तीन अवस्थाएँ होती हैं अर्थात पदार्थ तीन अवस्थाओं में पाये जाते हैं। ये अवस्थाएँ है:
ठोस अवस्था (Solid State)
द्रव या तरल अवस्था (Liquid State) तथा
गैसीय अवस्था (Gaseous State)
पदार्थ की ये तीन अवस्थाएँ उनके कणों के विशिष्ट गुणों के कारण होती है।
ठोस अवस्था (The Solid State)
पदार्थ जिनका एक निश्चित आकार, स्पष्ट सीमाएँ तथा स्थिर आयतन हो, ठोस कहलाता है, या ठोस अवस्था में कहलाता है।
ठोस की संपीडयता नगण्य होती है। बाह्य बल लगाने पर भी ठोस अपने आकार को बनाये रखता है। अधिक बल लगाने पर ठोस टूट जाता है परंतु उसका आकार नहीं बदलता है।
उदारण: लोहा, कोयला, बर्तन, कुर्सी, टेबल, आदि
कोयले का एक टुकड़ा बल लगाने पर टूट जाता है, क्योंकि वह दृड़ होता है तथा आकार परिवर्तन का विरोध करता है।
जब एक रबर वैंड को खींचा जाता है, तो उसका आकार बढ़ जाता है, परंतु उसपर बल हटा लेने पर उसका आकार पहले जैसा हो जाता है, ऐसा रबर बैंड के ठोस होने के कारण होता है।
जब एक स्पंज के टुकड़े पर बल लगाने पर इसका आकार छोटा हो जाता है, अर्थात संपीड़ित हो जाता है, परंतु बल हटा लेने पर स्पंज का टुकड़ा पुन: पूर्व आकार में आ जाता है। स्पंज में बहुत ही छोटे छोटे छिद्र होते हैं जिनमें हवा भरी रहती है, बल लगाने के कारण यह हवा बाहर निकल जाती है, जिसके कारण स्पंज के टुकड़े का आकार छोटा हो जाता है, परंतु बल हटा लेने पर उन छिद्रों में हवा पुन: भर जाती है तथा स्पंज के टुकड़े का आकार पहले जैसा हो जाता है। ऐसा स्पंज के ठोस होने के कारण होता है।
द्रव या तरल अवस्था (The Liquid State)
वैसे पदार्थ जिनका आकार अनिश्चित तथा आयतन निश्चित हो द्रव या तरल (LIQUID) कहलाते हैं। ऐसे पदार्थ की अवस्था द्रव या तरल अवस्था (LIQUID STATE) कहलाती है।
एक द्रव या तरल पदार्थ उसी बर्तन का आकार ले लेती है, जिसमें उसे रखा जाता है। परंतु प्रत्येक स्थिति में द्रव का आयतन समान रहता है।
उदारण: जल, तेल, दूध, आदि
गैसीय अवस्था (The Gaseous State)
पदार्थ जिनका आयतन तथा आकार दोनों ही अनिश्चित होता है, गैस कहलाते हैं। तथा उनकी यह अवस्था गैसीय अवस्था कहलाती है।
उदारण: हवा, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, धुँआ, आदि। सभी प्रकार के गैस की अवस्था गैसीय होती है।
गैसों जिस बर्तन में रखा जाता है, वह उस बर्तन का आकार तथा आयतन के बराबर हो जाता है।
गैस को काफी संपीड़ित (Compress) किया जा सकता है, अर्थात गैसों की संपीड़यता काफी अधिक होती है।
गैस के कणों की गतिज उर्जा द्रव तथा ठोस से अधिक होती है जिसके कारण गैस के कण तेजी से फैलते हैं। यही कारण है कि हम रसोई में पक रहे खाने को बिना रसोई में गये ही उससे आने वाले गंध के कारण दूर से ही पहचान लेते हैं या समझ जाते हैं कि क्या पक रहा है।
गैसे के कणों की गति अनियमित तथा अत्यधिक गतिज उर्जा होने कारण गैस के कणों की गति अत्यधिक तीव्र होती है। इस अनियमित गति के कारण गैस के कण आपस में तथा बर्तन, जिसमें गैस को रखा जाता है, की दीवारों से टकराते हैं। बर्तन की दीवार से टकराने के कारण गैस कणों द्वारा बर्तन की दीवारों पर प्रति इकाई क्षेत्र पर लगे बल के कारण गैस का दबाव बनता है।
आजकल वाहनों में ईंधन के रूप में संपीड़ित प्राकृतिक गै [CNG (compressed natural gas)] का उपयोग होता है।
हमारे घरों मे खाना बनाने में उपयोग की जाने वाली द्रवीकृत पेट्रोलियम गैस [LPG (Liquefied Petroleum Gas)] या अस्पतालों में उपयोग किया जाने वाला ऑक्सीजन सिलिंडरों में संपीड़ित गैस होती है।
संपीड़यता (Compressibility) काफी अधिक होने के कारण गैस के अत्यधिक आयतन को एक कम आयतन वाले सिलिंडर में संपीड़ित क्या जा सकता है एवं आसानी से एक जगह से दूसरे जगह तक भेजा जा सकता है।
चूँकि गैस के कणों के बीच काफी स्थान रिक्त रहता है, अत: गैस के अधिक आयतन का कम आयतन वाले सिलिंडरों में संपीड़न संभव हो पाता है।
पदार्थ की विभिन्न अवस्थाओं के कणों के बीच रिक्त स्थान की तुलना
गैस (Gas) > द्रव या तरल (Liquid) > ठोस (Solid)
गैसों के कणों के बीच रिक्त स्थान सबसे अधिक, द्रव या तरल के कणों के बीच रिक्त स्थान गैस की तुलना में कम तथा ठोस की तुलना में अधिक, तथा ठोस के कणों के बीच रिक्त स्थान सबसे कम होता है।
पदार्थों की विभिन्न अवस्थाओं में कणों के बीच आकर्षण बल की तुलना (Force of attraction between particles of matters)
गैस (Gas) < द्रव या तरल (Liquid) < ठोस (Solid)
क्या पदार्थ अपनी अवस्था को बदल सकता है? (Can Matter Change Its State?)
पदार्थ अपनी अवस्था को बदल सकता है, जैसे कि जल तीनों भौतिक अवस्थाओं में पाया जाता है।
ठोस को द्रव में तथा द्रव को गैस में बदला जा सकता है। जैसे कि : जल, ठोस (बर्फ), तरल या द्रव (जल) तथा गैस (जलवाष्प) के रूप में पाया जाता है। अर्थात जल पदार्थ की तीनों भौतिक अवस्थाओं में पाया जाता है।
बर्फ (ठोस) ⇒ जल (द्रव) ⇒ जलवाष्प (गैस)
पदार्थ के विभिन्न अवस्थाओं को प्रभावित करनेवाले कारक
तापक्रम का प्रभाव (Effect of Temperature)
तापमान के प्रभाव के कारण ठोस पदार्थ अपनी अवस्थाओं को बदल सकता है।
तापक्रम बढ़ने के कारण एक ठोस द्रव में तथा द्रव, गैस में बदल जाता है, या बदला जा सकता है। तथा तापमान के घटने के कारण गैस को द्रव में तथा द्रव को ठोस में बदला जा सकता है।
उदाहरण: तापक्रम के बढ़ाने पर बर्फ (ठोस) पिघलकर जल (द्रव या तरल) बन जाता है तथा तापक्रम को पुन: बढ़ाने पर जल (द्रव या तरल) गर्म होकर वाष्प (गैस) में बदल जाता है।
तापक्रम घटाने पर वाष्प संघनित (condense) होकर जल (द्रव या तरल) में बदल जाता है तथा तापक्रम को घटाते रहने पर जल (द्रव या तरल) बर्फ (ठोस) में बदल जाता है अर्थात जम (Freeze) जाता है।
ठोस के तापमान को बढ़ाने पर उसके कणों की गतिज उर्जा बढ़ जाती है। गतिज उर्जा में बृद्धि होने के कारण ठोस के कण अधिक तेजी से कंपन करने लगते हैं। उष्मा के द्वार प्रदत्त की गई उर्जा कणों के बीच के आकर्षण बल को पार कर लेती है अर्थात घटा देती है। इस कारण कण अपने नियत स्थान को छोड़कर अधिक स्वतंत्र होकर गति करने लगते हैं। एक ऐसी अवस्था आती है, जब ठोस पिघलकर द्रव में परिवर्तित हो जाता है।
तापमान को पुन: बढ़ाते रहने समान प्रक्रिया होती है, तथा द्रव वाष्पीकृत होकर गैस में बदल जाता है।
गलनांक (Melting Point): वह तापमान जिसपर ठोस पिघलकर द्रव बन जाता है, वह इसका गलनांक (Melting Point) कहलाता है।
किसी भी ठोस पदार्थ का melting point (गलनांक) उसके कणों के बीच के आकर्षण बल के सामर्थ्य को दर्शाता है। अर्थात किसी भी ठोस का melting point (गलनांक) यह बतलाता है कि उस ठोस पदार्थ के कणों के बीच आकर्षण बल कितना strong (मजबूत) या कितना weak (कमजोर) है।
बर्फ का melting point (गलनांक) 273.16 K है।
संगलन (Fusion):
ठोस से द्रव अवस्था में परिवर्तन या गलने की प्रक्रिया को संगलन (Fusion) कहा जाता है।
Reference: