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नवमी विज्ञान
NCERT Exemplar लघु एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न संख्या: 18. बर्फ के रूप में जल शीतलन प्रभाव रखता है जबकि भाप के रूप में जल गंभीर जलन कर सकता है। इन प्रेक्षणों को समझाइए।
उत्तर : बर्फ के अणुओं में उष्मीय उर्जा की मात्रा काफी कम होती है, जिसके कारण बर्फ के अणु आसपास से तापीय उष्मा अवशोषित कर आसपास का तापमान घटा देते हैं। जबकि भाप के अणुओं में उष्मीय उर्जा की मात्रा गुप्त उष्मा के रूप काफी अधिक रहती है, जो कि रूपांतरण के क्रम में जलन उत्पन्न करता है।
अत: जब बर्फ को शरीर पर रखा जाता है, तो उसके अणु शरीर से तापीय उष्मा अवशोषित कर शीतलन का प्रभाव देते हैं जबकि भाप की उच्च तापीय गुप्त उष्मा शरीर पर गंभीर जलन पैदा करते हैं।
प्रश्न संख्या: 19. अलका एक केतली में चाय बना रही थी। उसने केतली की टोंटी से निकलती हुई भाप के झोंके से अचानक अत्यधिक उष्मा महसूस की। उसे आश्चर्य हुआ कि केतली में उबलते हुए जल की तुलना में भाप का तापमान अधिक था। टिप्पणी कीजिए।
उत्तर : वाष्प में उबलते जल की अपेक्षा अधिक उष्मीय उर्जा छुपी होती है, जिसे गुप्त ताप कहते हैं। इसी कारण से भाप उबलते जल की अपेक्षा अधिक जलन देती है।
यही कारण था कि अलका ने उबलते हुए जल की अपेक्षा केतली की टोंटी से निकलती हुई भाप के झोंके से अचानक अत्यधिक उष्मा महसूस की।
प्रश्न संख्या: 20. गरम जल युक्त एक काँच के पात्र को रेफ्रीजरेटर के फ्रीजर प्रभाग (ताप < 00C) में रखा। यदि आप पात्र की अंतर्वस्तु के ताप का मापन कर सकें तो निम्नलिखित ग्राफ में से कौन से समय के फलन के साथ ताप में परिवर्तन को सही निरूपित करता है?
उत्तर :
ब्याख्या : गर्म जल को शून्य से कम तापमान पर रखने पर पहले तो धीरे धीरे जल का तापमान गिरते हुए शून्य पर पहुँचता है, शून्य पर तापमान पहुँचने के बाद तबतक तापमान नहीं गिरता है, जबतक कि पूरा जल बर्फ में नहीं परिवर्तित हो जाय। बर्फ जमने के बाद फिर तापमान धीरे धीरे कम होने लगता है।
अत: विकल्प (a) में दिया गया समय के फलन के साथ ताप में परिवर्तन का ग्राफ सही उत्तर है।
प्रश्न संख्या: 21. चित्र को देखिए तथा सुझाव दीजिए कि किस पात्र (a, b, c अथवा d) में वाष्पन की दर सर्वाधिक होगी? समझाइए।
उत्तर :
ब्याख्या : द्रव के वाष्पण (Evaporation) की दर सतह क्षेत्र तथा वायु की गति के बढ़ने के साथ बढ़ती है, तथा सतह क्षेत्र तथा वायु की गति के कम होने के साथ साथ घटती है।
दिये गये विकल्प चित्रों में (B) में रखे द्रव का सतह क्षेत्र अन्य की अपेक्षा न्यूनतम है। चित्र (D) में रखा द्रव ढ़का हुआ है। अत: इनमें वाष्पण की प्रक्रिया घीमी होगी।
चित्र (A) तथा (C) में रखे द्रव का सतह क्षेत्र बड़ा तथा बराबर है, परंतु (C) में रखे द्रव के ऊपर घूमता हुआ पंखा होने के कारण वायु गति भी अधिक है। अत: बर्तन (C) में रखे द्रव में वाष्पण की दर सर्वाधिक होगी।
प्रश्न संख्या: 22. (a) ठोस का वाष्प में रूपांतरण उर्ध्वपातन कहलाता है। वाष्प के ठोस में रूपांतरण को व्यक्त करने वाले पद का नाम दीजिए।
उत्तर : ठोस का द्रव की अवस्था में परिवर्तित हुए बिना ही वाष्प में रूपांतरण तथा वाष्प का द्रव की अवस्था में परिवर्तित हुए बिना ही ठोस में रूपांतरण उर्ध्वपातन कहलाता है।
अत: वाष्प के ठोस में रूपांतरण उर्ध्वपातन है।
(b) ठोस अवस्था का द्रव अवस्था में रूपांतरण गलन कहलाता है। गलन की गुप्त उष्मा से क्या तात्पर्य है?
उत्तर : एक वायुमंडलीय दाब पर एक किलोग्राम ठोस को उसके गलनांक पर द्रव में परिवर्तित करने के लिए आवश्यक उष्मा को गलन की गुप्त उष्मा या गुप्त ताप कहते हैं।
NCERT Exemplar Solution दीर्घउत्तरीय प्रश्न
प्रश्न संख्या: 23. आपके अध्यापक द्वारा आपको नैफ्थलीन तथा अमोनियम क्लोराइड का मिश्रण दिया गया है। इनको पृथक करने की प्रक्रिया को नामांकित चित्र सहित सुझाइए।
उत्तर : नैफ्थलीन जल में अघुलनशील तथा अमोनियम क्लोराइड घुलनशील है। अत: दिये गये मिश्रण को जल में घोल बनाकर निस्पंदन तथा वष्पण की विधि द्वारा पृथक किया जा सकता है।
प्रक्रिया:
सर्वप्रथम दिये गये मिश्रण का जल में घोल बना लिया जाता है।
अमोनियम क्लोराइड के जल में घुलनशील होने के कारण वह जल में घुल जाता है, तथा नैफ्थलीन अधुलनशील रह जाता है।
घोल को फिल्टर पेपर के द्वारा कीप से निस्तारित अर्थान छान लिया जाता है।
नैफ्थलीन के अघुलनशील होने के कारण वह छन्ना पत्र पर अवशेष के रूप में बच जाता है, जिसे अलग कर लिया जाता है।
घोल को एक चौड़े मुँह वाले पात्र में रखकर उसके जल को वाष्पण (Evaporation) के लिये छोड़ दिया जाता है।
चूँकि अमोनियम क्लोराइड को शुष्कण तक गरम करने पर वह विघटित हो जाता है, अत: अमोनियम क्लोराइड को घोल से प्राप्त करने के लिए वाषण की प्रक्रिया अपनाई जाती है।
वाष्पण के बाद पात्र में बचे हुए अमोनियम क्लोराइड को अलग कर लिया जाता है।
इस तरह फिल्टर पेपर पर नैफ्थलीन तथा पात्र में अमोनियम क्लोराइड प्राप्त हो जाता है।
प्रश्न संख्या: 24. ग्रीष्मकाल में प्रियांशी तथा अली ने क्रमश: सूती तथा नाइलोन के वस्त्र पहन रखे हैं। आपकी समझ में कौन अधिक आरामदायक होगा तथा क्यों?
उत्तर : ग्रीष्म काल में शरीर की एक जैविक प्रक्रिया के कारण हमें ज्यादा पसीना निकलता है, जो हमारे शरीर को ठंढ़ा रखता है।
सूती वस्त्र एक बहुत ही अच्छा अवशोषक है। ग्रीष्म काल में सूती वस्त्र पहनने से वह हमारे शरीर से निकलने वाले पसीने को अवशोषित कर लेता है, जहाँ से पसीने का वाष्पण हो जाता है, वाष्पण के क्रम में चूँकि द्रव आसपास से ताप उर्जा को अवशोषित कर लेता है, अत: यह हमें शीतलता प्रदान करता है, तथा हम अच्छा अर्थात आराम महसूस करते हैं।
वहीं नाइलोन वस्त्र के अच्छा अवशोषक नहीं होने के कारण वह हमारे शरीर से निकलने वाले पसीने को पूरी तरह अवशोषित नहीं कर पाता है, और हम अपने शरीर को गीला महसूस करते है, तथा यह वस्त्र आरामदायक नहीं लगता है।
अत: प्रियांशी, जिसने सूती वस्त्र पहना है अधिक आरामदायक महसूस करेगी तथा अली, जिसने नाइलॉन का वस्त्र पहना है आरामदायक नहीं मसूस करेगा।
प्रश्न संख्या: 25. एक पार्टी में आप अपनी प्रिय शर्ट पहनना चाहते हो, समस्या है कि वह धोने के पश्चात अभी भी गीली है। इसको शीघ्रता से सुखाने के लिए आप क्या कदम उठाएंगे?
उत्तर : गीली शर्ट को फैलाकर धूप में रखकर एक पंखे से हवा की गति तेज कर शीघ्रता से सुखाया जा सकता है।
कपड़े को फैलाने से उसका पृष्टीय क्षेत्रफल बढ़ जायेगा। पृष्ठीय क्षेत्रफल बढ़ने से वाष्पण की दर बढ़ती है।
कपड़े को धूप में डालने से तापमान बढ़ेगा। तापमान बढ़ने से वाष्पण की दर बढ़ जाती है।
पंखे की मदद से हवा की गति तेज की जाती है। हवा की गति तेज होने से वाष्पण की दर बढ़ती है।
अत: उपरोक्त तीनों प्रक्रिया एक साथ अपनाकर गीली शर्ट को शीघ्रता से सुखाया जा सकता है।
प्रश्न संख्या: 26. निम्नलिखित कथनों पर टिप्पणी किजिए:
(a) वाष्पन, शीतलन उत्पन्न करता है।
उत्तर : बिना क्वथनांक पर पहुँचे ही द्रव का वाष्प में बदलना वाष्पण कहलाता है। वाष्पण के क्रम में द्रव के कण आसपास से उष्मीय उर्जा अवशोषित कर लेते हैं, जिससे आसपास का तापमान कम हो जाता है।
अत: तापमान कम होने के कारण वाष्पण शीतलन उत्पन्न करता है।
(b) आर्द्रता बढ़ने पर एक जलीय विलयन के वाष्पन की दर घटती है।
उत्तर : वायु में बिद्यमान जलवाष्प की मात्रा को Humidity (आद्रता) कहते हैं। किसी निश्चित तापमान पर हमारे आस पास की वायु में एक निश्चित मात्रा में जलवाष्प होता है। वायु में जलवाष्प की मात्रता अर्थात Humidity (आद्रता) बढ़ने पर वायु के जलवाष्प की घारिता घट जाती है, जिसके कारण वाष्पीकरण घीरे होने लगता है, अर्थात वाष्पण (Evaporation) की दर घट जाती है।
(c) स्पंज यद्यपि संपीड़य है, फिर भी एक ठोस है।
उत्तर : स्पंज में बहुत ही छोटे छोटे छिद्र होते हैं जिनमें हवा भरी रहती है, बल लगाने के कारण यह हवा बाहर निकल जाती है, जिसके कारण स्पंज के टुकड़े का आकार छोटा हो जाता है, परंतु बल हटा लेने पर उन छिद्रों में हवा पुन: भर जाती है तथा स्पंज के टुकड़े का आकार पहले जैसा हो जाता है।
चूँकि स्पंज का आयतन तथा आकार निश्चित रहता है, अत: स्पंज संपीड़य होने के बाबजूद भी एक ठोस है।
प्रश्न संख्या: 27. गलनांक तथा क्वथनांक पर किसी पदार्थ का ताप स्थिर क्यों रहता है?
उत्तर : ठोस के गलनांक पर पहुँचने के बाद उसमें दिया जाने वाला ताप पूरे ठोस को पिघलने में उपयोग होता है। इस स्थिति में सिस्टम का ताप तबतक नहीं बढ़ता है, जबतक पूरा ठोस पिघल नहीं जाता है। इस क्रम में दिया जाने वाला उष्मा संगलन गुप्त उष्मा कहलाती है।
उसी प्रकार किसी द्रव क्वथनांक पर पहुँचने के बाद उसमें प्रवाहित की जाने वाली उष्मा का उपयोग पूरे द्रव को गैस (जैसे जल को वाष्प) में बदलने में खर्च होता है, तथा सिस्टम को लगातार तापीय उर्जा देने के बाद भी उसका तापमान नहीं बढ़ता है। इस क्रम में बिना तापमान बढ़े ही खर्च होने वाली उष्मा वाष्पीकरण की गुप्त उष्मा कहलाती है।
अत: गलनांक तथा क्वथनांक पर पदार्थ का ताप स्थिर रहता है।
Reference: