औसत

सामान्य गणित: विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए

सम संख्याओं के औसत की गणना

सम संख्याओं के औसत की गणना के लिए सूत्र

प्रथम n सम संख्याओं का औसत = n + 1

औसत पर आधारित निम्नांकित प्रश्नों को हल करें

प्रश्न संख्या (1) प्रथम 5 सम संख्याओं का औसत ज्ञात करें।

हल

संख्याएँ जो 2 से विभाजित हो जाती हैं सम संख्या कहलाती हैं।

अत: प्रथम 5 सम संख्याएँ हैं

2, 4, 6, 8, 10

हम जानते हैं कि दी गई संख्याओं का औसत = दी गयी संख्याओं का योग/दी गयी संख्याओं की कुल संख्या

अत: दी गई संख्याओं का औसत = 2 + 4 + 6 + 8 + 10 5

= 305 = 6

अत: प्रथम 5 सम संख्याओं का औसत = 6 उत्तर

लघु विधि (शॉर्टकट मेथड)

प्रथम 2 सम संख्याओं का औसत = 2 + 4/2 = 3

प्रथम 3 सम संख्याओं का औसत = 2 + 4 + 63 = 4

प्रथम 4 सम संख्याओं का औसत = 2 + 4 +6 + 84 = 5

स्पष्टत: प्रथम n सम संख्या का औसत = n + 1

अत: प्रथम 5 सम संख्या का औसत = 5 + 1 = 6 उत्तर

प्रश्न संख्या (2) प्रथम 10 सम संख्याओं का औसत ज्ञात करें।

हल

संख्याएँ जो 2 से विभाजित हो जाती हैं सम संख्या कहलाती हैं।

अत: प्रथम 10 सम संख्याएँ हैं

2, 4, 6, 8, 10, 12, 14, 16, 18, 20

हम जानते हैं कि दी गई संख्याओं का औसत = दी गयी संख्याओं का योग/दी गयी संख्याओं की कुल संख्या

प्रथम 10 सम संख्या का योग

= 2 + 4 + 6 + 8 + 10 + 12 + 14 + 16 + 18 + 20

= 110

अत: प्रथम 10 सम संख्या का औसत = 11010 = 11

अत: प्रथम 10 सम संख्या का औसत = 11 उत्तर

लघु विधि (शॉर्टकट मेथड)

प्रथम 2 सम संख्याओं का औसत = 2 + 4/2 = 3

प्रथम 3 सम संख्याओं का औसत = 2 + 4 + 63 = 4

प्रथम 4 सम संख्याओं का औसत =2 + 4 + 6 + 8 4 = 5

स्पष्टत: प्रथम n सम संख्या का औसत = n + 1

अत: प्रथम 10 सम संख्या का औसत = 10 + 1 = 11 उत्तर

प्रश्न संख्या (3) प्रथम 15 सम संख्याओं के औसत की गणना करें।

हल :

संख्याएँ जो 2 से विभाजित हो जाती हैं सम संख्या कहलाती हैं।

अत: प्रथम 15 सम संख्याओं की सूची है

2, 4, 6, 8, . . . . . . ., 30

चूँकि प्रथम 15 सम संख्याओं की सूची में दो क्रमागत संख्याओं का अंतर समान है, अत: यह एक समांतर श्रेणी बनाती है।

यहाँ प्रथम पद (a) = 2

सार्व अंतर (d) [दो क्रमागत पदों के बीच का अंतर]= 2

अंतिम पद ( ) = 30

पदों की संख्या (n) 15

हम जानते हैं कि समांतर श्रेणी में n पदों का योग (Sn) = n2 ( a + )

अत: दी गई सूची के प्रथम 15 पदों का योग (S15)

= 152 (2 + 30)

= 152 × 32

= 15 × 16 = 240

अत: प्रथम 15 सम संख्याओं का योग = 240

हम जानते हैं कि दी गई संख्याओं का औसत = दी गयी संख्याओं का योग/दी गयी संख्याओं की कुल संख्या

अत: प्रथम 15 सम संख्याओं का औसत = 24015 = 16

अत: प्रथम 15 सम संख्याओं का औसत = 16 उत्तर

वैकल्पिक विधि (अलटरनेट मेथड)

प्रथम 15 सम संख्याओं की सूची है

2, 4, 6, 8, . . . . . . ., 30

Or, 2(1, 2, 3, . . . . . , 15)

अत: प्रथम 15 सम संख्याओं का योग

= 2 ( 1 + 2 + 3 + . . . . . + 15)

हम जानते हैं कि n प्राकृतिक संख्याओं का योग = n (n + 1) 1 2

तथा दी गई संख्याओं का औसत = दी गयी संख्याओं का योग/दी गयी संख्याओं की कुल संख्या

अत: प्रथम 15 सम संख्याओं का औसत = 215 × 15 ( 15 + 1 ) 2

= 215 × 15 × 162 = 16

अत: प्रथम 15 सम संख्याओं का औसत = 16 उत्तर

लघु विधि (शॉर्टकट मेथड)

प्रथम 2 सम संख्याओं का औसत = 2 + 4/2 = 3

प्रथम 3 सम संख्याओं का औसत = 2 + 4 + 63 = 4

प्रथम 4 सम संख्याओं का औसत = 2 + 4 + 6 + 84 =5

स्पष्टत: प्रथम n सम संख्या का औसत = n + 1

अत: प्रथम 15 सम संख्या का औसत = 15 + 1 = 16 उत्तर

प्रश्न संख्या (4) प्रथम 50 सम संख्याओं का औसत निकालें।

हल :

संख्याएँ जो 2 से विभाजित हो जाती हैं सम संख्या कहलाती हैं।

अत: प्रथम 50 सम संख्याओं की सूची है

2, 4, 6, 8, . . . . . . ., 100

चूँकि प्रथम 50 सम संख्याओं की सूची में दो क्रमागत संख्याओं का अंतर समान है, अत: यह एक समांतर श्रेणी बनाती है।

यहाँ प्रथम पद (a) = 2

सार्व अंतर (d) [दो क्रमागत पदों के बीच का अंतर]= 2

अंतिम पद ( ) = 100

पदों की संख्या (n) 50

हम जानते हैं कि समांतर श्रेणी में n पदों का योग (Sn) = n2 ( a + )

अत: दी गई सूची के प्रथम 50 पदों का योग (S50)

= 502 (2+100)

= 25 × (2 + 100)

= 25 × 102 = 2550

अत: प्रथम 50 सम संख्याओं का योग = 2550

हम जानते हैं कि दी गई संख्याओं का औसत = दी गयी संख्याओं का योग/दी गयी संख्याओं की कुल संख्या

अत: प्रथम 50 सम संख्याओं का औसत = 255050 = 51

अत: प्रथम 50 सम संख्याओं का औसत = 51 उत्तर

वैकल्पिक विधि (अलटरनेट मेथड)

प्रथम 50 सम संख्याओं की सूची है

2, 4, 6, 8, . . . . . . ., 100

Or, 2(1, 2, 3, . . . . . , 50)

अत: प्रथम 50 सम संख्याओं का योग

= 2 ( 1 + 2 + 3 + . . . . . + 50)

हम जानते हैं कि n प्राकृतिक संख्याओं का योग = n (n + 1)2

तथा दी गई संख्याओं का औसत = दी गयी संख्याओं का योग/दी गयी संख्याओं की कुल संख्या

अत: प्रथम 50 सम संख्याओं का औसत = 250 × 50 (50 + 1)2

= 250 × 50 × 512 = 51

अत: प्रथम 50 सम संख्याओं का औसत = 51 उत्तर

लघु विधि (शॉर्टकट मेथड)

प्रथम 2 सम संख्याओं का औसत = 2 + 4/2 = 3

प्रथम 3 सम संख्याओं का औसत = 2 + 4 + 63 = 4

प्रथम 4 सम संख्याओं का औसत = 2 + 4 + 6 + 84 = 5

स्पष्टत: प्रथम n सम संख्या का औसत = n + 1

अत: प्रथम 50 सम संख्या का औसत = 50 + 1 = 51 उत्तर

प्रश्न संख्या (5) प्रथम 150 सम संख्याओं का औसत निकालें।

हल :

संख्याएँ जो 2 से विभाजित हो जाती हैं सम संख्या कहलाती हैं।

अत: प्रथम 150 सम संख्याओं की सूची है

2, 4, 6, 8, . . . . . . ., 300

चूँकि प्रथम 150 सम संख्याओं की सूची में दो क्रमागत संख्याओं का अंतर समान है, अत: यह एक समांतर श्रेणी बनाती है।

यहाँ प्रथम पद (a) = 2

सार्व अंतर (d) [दो क्रमागत पदों के बीच का अंतर]= 2

अंतिम पद ( ) = 100

पदों की संख्या (n) 150

हम जानते हैं कि समांतर श्रेणी में n पदों का योग (Sn) = n2 ( a + )

अत: दी गई सूची के प्रथम 150 पदों का योग (S150)

= 1502 (2 + 300)

= 75 × (2 + 300)

= 75 × 302 = 22650

अत: प्रथम 150 सम संख्याओं का योग = 22650

हम जानते हैं कि दी गई संख्याओं का औसत = दी गयी संख्याओं का योग/दी गयी संख्याओं की कुल संख्या

अत: प्रथम 150 सम संख्याओं का औसत 22650150 =151

अत: प्रथम 150 सम संख्याओं का औसत = 151 उत्तर

वैकल्पिक विधि (अलटरनेट मेथड)

प्रथम 150 सम संख्याओं की सूची है

2, 4, 6, 8, . . . . . . ., 300

Or, 2(1, 2, 3, . . . . . , 150)

अत: प्रथम 150 सम संख्याओं का योग

= 2 ( 1 + 2 + 3 + . . . . . + 150)

हम जानते हैं कि n प्राकृतिक संख्याओं का योग = n (n + 1)2

तथा दी गई संख्याओं का औसत = दी गयी संख्याओं का योग/दी गयी संख्याओं की कुल संख्या

अत: प्रथम 150 सम संख्याओं का औसत = 2150 × 150 (150 + 1)2

= 2150 × 150 × 1512 = 51

अत: प्रथम 150 सम संख्याओं का औसत = 151 उत्तर

लघु विधि (शॉर्टकट मेथड)

प्रथम 2 सम संख्याओं का औसत = 2 + 4/2 = 3

प्रथम 3 सम संख्याओं का औसत = 2 + 4 + 63 = 4

प्रथम 4 सम संख्याओं का औसत = 2 + 4 + 6 + 8 4 = 5

स्पष्टत: प्रथम n सम संख्या का औसत = n + 1

अत: प्रथम 150 सम संख्या का औसत = 150 + 1 = 151 उत्तर

प्रश्न संख्या (6) प्रथम 5000 सम संख्याओं का औसत निकालें।

हल :

संख्याएँ जो 2 से विभाजित हो जाती हैं सम संख्या कहलाती हैं।

अत: प्रथम 5000 सम संख्याओं की सूची है

2, 4, 6, 8, . . . . . . ., 10000

चूँकि प्रथम 5000 सम संख्याओं की सूची में दो क्रमागत संख्याओं का अंतर समान है, अत: यह एक समांतर श्रेणी बनाती है।

यहाँ प्रथम पद (a) = 2

सार्व अंतर (d) [दो क्रमागत पदों के बीच का अंतर]= 2

अंतिम पद ( ) = 10000

पदों की संख्या (n) 5000

हम जानते हैं कि समांतर श्रेणी में n पदों का योग = (Sn) n2 (a+ )

अत: दी गई सूची के प्रथम 5000 पदों का योग (S5000)

= 50002 (2 + 10000)

= 2500 × (2+10000)

= 2500 × 10002 = 25005000

= 25005000

अत: प्रथम 5000 सम संख्याओं का योग = 25005000

हम जानते हैं कि दी गई संख्याओं का औसत = दी गयी संख्याओं का योग/दी गयी संख्याओं की कुल संख्या

अत: प्रथम 5000 सम संख्याओं का औसत = 250050005000 =5001

अत: प्रथम 5000 सम संख्याओं का औसत = 5001 उत्तर

वैकल्पिक विधि (अलटरनेट मेथड)

प्रथम 5000 सम संख्याओं की सूची है

2, 4, 6, 8, . . . . . . ., 10000

Or, 2(1, 2, 3, . . . . . , 5000)

अत: प्रथम 5000 सम संख्याओं का योग

= 2 ( 1 + 2 + 3 + . . . . . + 5000)

हम जानते हैं कि n प्राकृतिक संख्याओं का योग = n (n + 1)2

तथा दी गई संख्याओं का औसत = दी गयी संख्याओं का योग/दी गयी संख्याओं की कुल संख्या

अत: प्रथम 5000 सम संख्याओं का औसत = 25000 × 5000 (5000 + 1)2

= 25000 × 5000 × 50012 = 5001

अत: प्रथम 5000 सम संख्याओं का औसत = 5001 उत्तर

लघु विधि (शॉर्टकट मेथड)

प्रथम 2 सम संख्याओं का औसत = 2 + 4/2 = 3

प्रथम 3 सम संख्याओं का औसत = 2 + 4 + 63 = 4

प्रथम 4 सम संख्याओं का औसत = 2 + 4 + 6 + 84 = 5

स्पष्टत: प्रथम n सम संख्या का औसत = n + 1

अत: प्रथम 5000 सम संख्या का औसत = 5000 + 1 = 5001 उत्तर

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Reference: