Electricity - क्लास दसवीं विज्ञान
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NCERT अभ्यास प्रश्नों के उत्तर-भाग:2
प्रश्न संख्या: 10. `176\ Omega` प्रतिरोध के कितने प्रतिरोधकों को पार्श्वक्रम में संयोजित करें कि 220 V के विद्युत श्रोत से संयोजन से 5 A विद्युत धारा प्रवाहित हो?
उत्तर:
दिया गया है, `I=5\ A` तथा `V = 200\ V`
मान लिया कि `x` प्रतिरोधकों के पार्श्वक्रम में संयोजन के बाद परिपथ का तुल्य प्रतिरोध `=R_1`
अत: `R_1 = (220\ V)/(5A)`
मान लिया कि `176\ Omega` के प्रतिरोधक के प्रतिरोधकों की कुल संख्यां `=x`
`:. 1/R_1 = x/(176\ Omega)`
`=>R_1 = (176\ Omega)/x`
`=>(176\ Omega)/x = (220\ V)/(5\ A)`
`=>x\xx220\ V = 176\ Omega xx 5 A`
`=>x = (176\ Omega xx 5\ A)/(220\ V) = 4`
अत: `176\ Omega` के 4 प्रतिरोधकों की आवश्यक्ता होगी।
अत: उत्तर = 4
प्रश्न संख्या: 11. यह दर्शाइए कि आप `6\ Omega` प्रतिरोध के तीन प्रतिरोधकों को किस प्रकार संयोजित करेंगे कि प्राप्त संयोजन का प्रतिरोध (i) `9\ Omega` (ii) `4\ Omega` हो।
उत्तर:
दिये गये तीनों प्रतिरोधकों को निम्नाकित तरीके से संयोजित किया जा सकता है।
(a) जब तीनों प्रतिरोधक श्रेणीक्रम में संयोजित हों अत: परिपथ का कुल तुल्य प्रतिरोध `=6\ Omega xx3 = 18\ Omega`
(b) जब तीनों प्रतिरोधक पार्श्वक्रम में संयोजित हों
तो माना कि परिपथ का कुल तुल्य प्रतिरोध = R
`:. 1/R = 1/6+1/6+1/6\ Omega`
`=>1/R = 3/6= 1/2\ Omega`
`=>R = 2\ Omega`
(c) जब दो प्रतिरोधक श्रेणीक्रम में तथा एक प्रतिरोधक पार्श्वक्रम में संयोजित हों परिपथ में श्रेणीक्रम में संयोजित दो प्रतिरोधकों का तुल्य प्रतिरोध `= 6\ Omega + 6\ Omega = 12\ Omega`
मान लिया तीसरे प्रतिरोधक के पार्श्वक्रम में संयोजन के पश्चात परिपथ का तुल्य प्रतिरोध `=R_1`
`:. 1/R_1 = 1/(12\ Omega) + 1/(6\ Omega)`
`=>1/R_1= (1+2)/12\ Omega`
`=>1/R_1 = 3/12\ Omega = 1/4\Omega`
अत: `R_1 = 4\ Omega`
(d) जब दो प्रतिरोधक पार्श्वक्रम तथा एक प्रतिरोधक श्रेणीक्रम में संयोजित हों
मान लिया कि दो प्रतिरोधकों के पार्श्वक्रम में संयोजन के पश्चात परिपथ का तुल्य प्रतिरोध `=R_2`
`:. 1/R_2 = 1/6+1/6\ Omega`
`=>1/R_2 = 2/6=1/3\ Omega`
`=>R_2 = 3\ Omega`
अब चूँकि तीसरा प्रतिरोधक श्रेणीक्रम में संयोजित है
अत: परिपथ का तुल्य प्रतिरोध `= R_2+6\ Omega`
`= 3\ Omega+6\ Omega= 9\ Omega`
(i) अत: जब दो प्रतिरोधक पार्श्वक्रम में तथा एक श्रेणीक्रम में संयोजित हों तो परिपथ का कुल तुल्य प्रतिरोध `=9\ 9\ Omega`
(ii) तथा जब दो प्रतिरोधक श्रेणीक्रम में तथा एक पार्श्वक्रम में संयोजित हों तो परिपथ का कुल तुल्य प्रतिरोध `=4\ Omega`
प्रश्न संख्या: 12. 220 V के विद्युत लाइन पर उपयोग किए जाने वाले बहुत से बल्बों का अनुमतांक 10 W है। यदि 220 V लाइन से अनुमत अधिकतम विद्युत धारा 5 A है तो इस लाइन के दो तारों के बीच कितने बल्ब पार्श्वक्रम में संयोजित किए जा सकते हैं?
उत्तर:
दिया गया है,
पावर (बल्बों का अनुमतांक) = 10 W
विभवांतर, V = 220 V
विद्युत धारा, `I = 5\ A`
यहाँ बल्ब की कुल संख्यां ज्ञात करने के लिए सर्वप्रथम तुल्य प्रतिरोध की गणना आवश्यक है।
हम जानते हैं कि, पावर `P = V^2/R`
`=>10\ W = (220\ V)^2/R`
`=>R = (48400\ V^2)/(10\ W)`
`=> R = 4840\ Omega`
मान लिया कि बल्ब की कुल संख्यां `=m`
तथा बल्बों को पार्श्वक्रम में संयोजित किये जाने पर उसका कुल तुल्य प्रतिरोध `=R_1`
`:. 1/R_1 = mxx1/(4840\ Omega)`
`=>R_1 = 4840/m\ Omega`
चूँकि `R_1 = V/I`
`:. 4840/m\ Omega = (220\ V)/(5\ A)`
`=>m = (4840xx5)/220=110`
अत: बल्ब की कुल संख्यां = 110 उत्तर
प्रश्न संख्या: 13. किसी विद्युत भट्ठी की तप्त प्लेट दो प्रतिरोधक कुंडलियों A तथा B की बनी हैं जिनमें प्रत्येक का प्रतिरोध `24\ Omega` है तथा इन्हें पृथक-पृथक, श्रेणीक्रम में अथवा पार्श्वक्रम में संयोजित करके उपयोग किया जा सकता है। यदि यह भट्ठी 220 V विद्युत श्रोत से संयोजित की जाती है तो तीनों प्रकरणों में प्रवाहित विद्युत धाराएँ क्या हैं?
उत्तर:
स्थिति-I: जब कुंडलियों (coil) को अलग अलग उपयोग किया जाता है तब, प्रतिरोध, `R = 24\ Omega` तथा `V=220\ V`
हम जानते हैं कि, `I = V/R`
`=>I = (220\ V)/(24\ Omega) = 9.16\ A`
अत: जब कुंडलियों (Coils) को अलग अलग उपयोग किया जाता है, तो विद्युत धारा, `I = 9.16\ A`
स्थिति-II: जब दो प्रतिरोधकों (Coils) को श्रेणीक्रम में संयोजित किया जाता है, तब कुल तुल्य प्रतिरोध `= 24\ Omega+24\ Omega= 48\ Omega`
हम जानते हैं कि, `I = V/R`
`=>I = (220\ V)/(48\ Omega) = 4.58\ A`
अत: जब प्रतिरोधकों को श्रेणीक्रम में संयोजित किया जाता है, तो विद्युत धारा, `I = 4.58\ A`
स्थिति-III: जब दोनों प्रतिरोधकों (Coils) को पार्श्वक्रम में संयोजित किया जाता है,
तब मान लिया कि परिपथ का कुल तुल्य प्रतिरोध = R है।
अत:, `1/R= 1/(24\ Omega)+1/(24\ Omega)`
`=>1/R = (1+1)/(24\ Omega) = 2/(24\ Omega)`
`=>1/R = 1/(12\ Omega)`
`=>:. R = 12\ Omega`
हम जानते हैं कि, `I = V/R`
`=> I = (220\ V)/(12\ Omega)`
`=>I = 18.33\ A`
अत:
(a) जब कुंडलियों को अलग अलग उपयोग किया जाता है, तो विद्युत धारा, `I = 9.16\ A`
(b) जब कुंडलियों (coils) को श्रेणीक्रम में संयोजित कर उपयोग किया जाता है, तो विद्युत धारा, `I = 4.58\ A`
(c) जब कुंडलियों (Coils) क़ो पार्श्वक्रम में संयोजित कर उपयोग किया जाता है, तो विद्युत धारा, `I = 18.33\ A`
संख्या: 14. निम्नलिखित परिपथों में प्रत्येक में `2\ Omega` प्रतिरोधक द्वारा उपभुक्त शक्तियों की तुलना कीजिए: (i) 6 V की बैटरी से संयोजित `1\ Omega` तथा `2\Omega` श्रेणीक्रम संयोजन (ii) 4 V बैटरी से संयोजित `12\ Omega` तथा `2\ Omega` का पार्श्वक्रम संयोजन।
उत्तर:
(i) 6 V की बैटरी से संयोजित `1\ Omega` तथा `2\Omega` श्रेणीक्रम संयोजन
इस स्थिति में कुल तुल्य प्रतिरोध, `R = 1\ Omega+2\ Omega=3\ Omega`
हम जानते हैं कि, `I = V/R`
`:. I = (6\ V)/(3\ Omega) = 2\ A`
चूँकि जब प्रतिरोधकों को श्रेणीक्रम में संयोजित किया जाता है, तो विद्युत धारा का मान समान रहता है,
अत: प्रतिरोधक `2\ Omega` से प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा `=2\ A`
हम जानते हैं कि, पावर, `P = I^2xxR`
`=>P = (2\ A)^2xx2\ Omega`
`=> P = 8\ W`
ii) 4 V बैटरी से संयोजित `12\ Omega` तथा `2\ Omega` का पार्श्वक्रम संयोजन।
चूँकि प्रतिरोधकों को पार्श्वक्रम में संयोजित किये जाने की स्थिति में परिपथ का विभवांतर समान रहता है, अत: प्रतिरोधक `2\ Omega` का विभवांतर = 4 V
हम जानते हैं कि पावर, `P= V^2/R`
`=>P = (4V)^2/(2\ Omega)`
`=>P = 16/2W=8\ W`
अत: दोनों स्थितियों में `2\ Omega` के प्रतिरोधक के द्वारा उपभुक्त शक्ति बराबर होगी, अर्थात `8\ W` होगी। उत्तर
प्रश्न संख्या: 15. दो विद्युत लैम्प जिनमें से एक का अनुमतांक 100 W; 220 V तथा दूसरे का 60 W; 220 V है, विद्युत मेंस के साथ पार्श्वक्रम में संयोजित है। यदि विद्युत आपूर्ति की वोल्टता 220 V है तो विद्युत मेंस से कितनी धारा ली जाती है?
उत्तर:
हम जानते हैं कि पार्श्वक्रम के संयोजन में परिपथ का विभवांतर समान रहता है।
अत: परिपथ का विभवांतर `= 220\ V`
जब बल्ब का अनुमतांक (Power) = 100 W है मान लिया एक लैम्प का अनुमतांक, `P_1=100\ W`
तथा दूसरे लैम्प का अनुमतांक, `P_2 = 60\ W`
हम जानते हैं कि
परिपथ से प्रवाहित कुल विद्युत धारा = प्रत्येक उपकरण से प्रवाहित विद्युत धारा का योग
मान लिया कि परिपथ से प्रवाहित कुल विद्युत धारा `=I`
हम जानते हैं कि, `P = VxxI`
`=>I = P/V`
`=> I = P_1/V+P_2/V`
`=> I = (100\ W)/(220\ V) + (60\ W)/(220\ V)`
`=> I = (100+60)/220A`
`=>I = 160/220A= 0.72\ A`
अत: विद्युत मेंस से ली जाने वाली विद्युत धारा `=0.72\ A` उत्तर
प्रश्न संख्या: 16. किसमें अधिक विद्युत उर्जा उपभुक्त होती है: 250 W का टी. वी. सेट जो एक घंटे तक चलाया जाता है अथवा `120\ W` का विद्युत हीटर जो 10 मिनट के लिए चलाया जाता है?
उत्तर:
हम जानते हैं कि E (उपभुक्त उर्जा) = शक्ति × समय
या, `E = Pxxt`
टी. वी. सेट के लिए
समय, `t = 1\ h = 3600` सेकेंड
टी.वी. सेट का पावर, `P = 250\ W`
`:.E_(tv) =250\ Wxx360\ s`
`=>E_(tv) = 9,00,000\ J`
अत: टी.वी. सेट द्वारा उपभुक्त उर्जा = 9,00,000 जूल
विद्युत हीटर के लिए
समय, `t` = 10 मिनट = 60× 10 = 600 सेकेंड
तथा विद्युत हीटर का पावर, P = 120 W
`E_(heater) = 120\ W xx600\ s`
`=>E_(heater) = 72,000\ J`
अत: विद्युत हीटर द्वारा उपभुक्त उर्जा = 72,000 ज़ूल
अत: टी.वी. सेट द्वारा अधिक विद्युत उर्जा उपभुक्त होती है।
प्रश्न संख्या: 17. `8\ Omega` प्रतिरोध का कोई विद्युत हीटर विद्युत मेंस से 2 घंटे तक 15 A विद्युत धारा लेता है। हीटर में उत्पन्न उष्मा की दर परिकलित कीजिए।
उत्तर:
दिया गया है, प्रतिरोध `R=8\ Omega`
विद्युत धारा, `I = 15\ A`
हम जानते हैं कि उत्पन्न उष्मा की दर `=I^2R`
अत: विद्युत हीटर में उत्पन्न उष्मा की दर `= (15\ A)^2 xx 8\ Omega`
`=225xx8\ J/s`
`= 1800\ J\ s^(-1)` उत्तर
प्रश्न संख्या: 18. निम्नलिखित को स्पष्ट कीजिए
(a) विद्युत लैम्पों के तंतुओं के निर्माण में प्राय: एकमात्र टंगस्टन का ही उपयोग क्यों किया जाता है?
उत्तर:
विद्युत लैम्प के तंतु का गलनांक तथा प्रतिरोधकता काफी उच्च होना चाहिए, जिससे कि उच्च ताप पर तंतु गल कर टूटे नहीं तथा उच्च प्रतिरोध अधिक उष्मा उत्पन्न कर सके।
टंगस्टन का गलनांक `3380^o\ C` है, जो कि काफी उच्च है, साथ ही टंगस्टन का प्रतिरोध `5.2xx10^(-8)\ Omega\ m` है, जो कि काफी उच्च है।
अत: टंगस्टन का उच्च गलनांक तथा प्रतिरोधकता के कारण ही विद्युत लैम्पों के निर्माण में एकमात्र इसका उपयोग किया जाता है।
(b) विद्युत तापन युक्तियों जैसे ब्रेड टोस्टर तथा विद्युत इस्तरी के चालक शुद्ध धातुओं के स्थान पर मिश्रातुओं के क्यों बनाये जाते हैं?
उत्तर:
विद्युत तापन युक्तियों के चालक का गलनांक तथा प्रतिरोधकता उच्च होना चाहिए, जिससे कि वह अधिक उष्मा उत्पन्न कर सके तथा उच्च उष्मा पर भी गल कर टूटे नहीं।
चूँकि मिश्रातुओं का गलनांक तथा प्रतिरोध शुद्ध धातु की अपेक्षा अधिक होती है, अत: विद्युत तापन युक्तियों जैसे ब्रेड टोस्टर तथा विद्युत इस्तरी के चालक शुद्ध धातुओं के स्थान पर मिश्रातुओं के बनाये जाते हैं।
(c) घरेलू विद्युत परिपथों में श्रेणीक्रम संयोजन का उपयोग क्यों नहीं किया जाता है?
उत्तर:
घरेलू विद्युत परिपथों में श्रेणीक्रम संयोजन का उपयोग नहीं किया जाता है क्योंकि
(i) श्रेणीक्रम में संयोजन से विद्युत उपकरणों के बीच विभवांतर विभक्त हो जाता है, तथा घरेलू उपकरण प्राय: 220 V से 240 V के बीच कार्य करने के लिए बनाये जाते हैं। अत: श्रेणीक्रम में संयोजन से विभवांतर के उपकरणों के बीच विभक्त हो जाने के से कारण कम विभवांतर पर उपकरण सही ढंग से कार्य नहीं करेंगे।
(ii) श्रेणीक्रम में संयोजन में एक उपकरण के खराब हो जाने से विद्युत परिपथ टूट जाता है, अत: घरों में एक भी उपकरण के खराब हो जाने से सारे उपकरण कार्य करना बंद कर देंगे।
(iii) श्रेणीक्रम में एक ही स्विच (switch) कार्य करते हैं, अत: यदि घरों में अलग अलग विद्युत उपकरण को सुविधानुसार बंद या ऑन नहीं किया जा सकेगा।
(d) किसी तार का प्रतिरोध उसकी अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल में परिवर्तन के साथ किस प्रकार परिवर्तित होता है?
उत्तर:
प्रतिरोध अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल का ब्युत्क्रम होता है। अर्थात अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल बढ़ने से प्रतिरोध घटता है तथा अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल घटने से प्रतिरोध बढ़ता है।
(e) विद्युत संचारण के लिए प्राय: कॉपर तथा ऐलुमिनियम के तारों का उपयोग क्यों किया जाता है?
उत्तर:
कॉपर तथा ऐलुमिनियम की प्रतिरोधकता कम होती है, प्रतिरोधकता कम होने के कारण ये विद्युत के अच्छे चालक होते हैं साथ ही ये अपेक्षाकृत सस्ते तथा सुलभ धातु हैं।
अत: विद्युत संचारण के लिये प्राय: कॉपर तथा ऐलुमिनियम के तारों का उपयोग किया जाता है।
Reference: