विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव - क्लास दसवीं विज्ञान
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परिचय
विद्युत धारा प्रवाहित हो रहे चालक के पास चुम्बकीय सूई को लाया जाता है, तो चुम्बकीय सूई विक्षेपित हो जाती है, यह चालक से प्रवाहित हो रहे विद्युत धारा द्वारा चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करने के कारण होता है। इसे विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव कहा जाता है।
चुम्बक एक विशेष गुण वाला पदार्थ होता है जो लोहे तथा निकेल को आकर्षित करता है। जब किसी छड़ चुम्बक को हवा में किसी धागे के सहारे लटकाया जाता है, तो उसका एक सिरा उतर दिशा को तथा दूसरा सिरा दक्षिण दिशा को दर्शाता है। चुम्बक का जो सिरा उत्तर दिशा को दर्शाता है उसे चुम्बक का उत्तरी ध्रुव तथा जो सिरा दक्षिण दिशा को दर्शाता है, चुम्बक के उस सिरे को दणिण ध्रुव कहते हैं।
विद्युत तथा चुम्बकत्व एक दूसरे से संबंधित होते हैं। चुम्बकत्व तथा विद्युत धारा के बीच के संबंध को सर्वप्रथम हैंस क्रिश्चियन ऑर्स्टेड, जो डेनमार्क के एक वैज्ञानिक थे, ने 1920 में खोजा था। उनके सम्मान में चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता का मात्रक ऑर्स्टेड रखा गया है।
चुम्बकीय क्षेत्र और क्षेत्र रेखाएँ (मैग्नेटिक फिल्ड तथा फिल्ड लाईन)
चुम्बकीय क्षेत्र (Magnetic Field): किसी चुम्बक के चारों ओर का वह क्षेत्र जिसमें उसके बल का संसूचन किया जा सकता है, उस चुम्बक का चुम्बकीय क्षेत्र या मैग्नेटिक फिल्ड कहलाता है।
चुम्बकीय क्षेत्र एक सदिश राशि है क्योंकि चुम्बकीय क्षेत्र में दिशा तथा परिमाण दोनों होता है।
क्षेत्र रेखाएँ (फिल्ड लाइन्स): चुम्बक के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र एक विशेष पैटर्न में व्यवस्थित होता है, चुम्बकीय क्षेत्र का यह विशेष पैटर्न क्षेत्र रेखाएँ कहलाती हैं। वह रेखाएँ जिनके अनुदिश लौह चूर्ण स्वयं संरेखित होता है, चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं का निरूपण करती हैं।
चुम्बकीय क्षेत्र तथा क्षेत्र रेखाओं के गुण
चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा: चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा वह मानी जाती है जिसके अनुदिश चुम्बकीय सूई का उत्तर ध्रुव उस क्षेत्र के भीतर गमन करता है।
इसलिये परिपाटी के अनुसार चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ चुम्बक के उत्तर ध्रुव से प्रकट होती हैं तथा दक्षिण ध्रुव पर विलीन हो जाती हैं।
चुम्बक के भीतर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं की दिशा उसके दक्षिण ध्रुव से उत्तर ध्रुव की ओर होती है अत: चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ एक बंद बक्र होती हैं।
दो क्षेत्र रेखाएँ कहीं भी एक दूसरे को प्रतिच्छेद नहीं करतीं।
चुम्बकीय क्षेत्र की आपेक्षिक प्रबलता को क्षेत्र रेखाओं की निकटता की कोटि द्वारा दिखलाया जाता है। जहाँ पर चुम्बकीय रेखाएँ अपेक्षाकृत अधिक नजदीक होती हैं वहाँ पर चुम्बकीय क्षेत्र अधिक प्रबल होता है।
चूँकि चुम्बकीय क्षेत्र की रेखाएँ ध्रुवों के पास अधिक सघन होती हैं अत: एक चुम्बक ध्रुव के पास अधिक शक्तिशाली होता है।
वैद्युत चुम्बक या विद्युत चुम्बक (इलेक्ट्रोमैगनेट)
जब एक चालक से विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है, तो वह चालक एक चुम्बक की तरह व्यवहार करने लगता है। अत: एक विद्युत धारावाही चालक को वैद्युत चुम्बक या विद्युत चुम्बक या इलेक्ट्रोमैगनेट (Electromagnet) कहते हैं।
किसी विद्युत धारावाही चालक के कारण चुम्बकीय क्षेत्र
विद्युत धारावाही चालक दो तरह के हो सकते हैं: एक सीधा चालक तथा दूसरा वृताकार पाश वाला चालक।
सीधे चालक से विद्युत धारा प्रवाहित होने के कारण चुम्बकीय क्षेत्र
जब किसी सीधे चालक से विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है, तो यह चुम्बकीय प्रभाव उत्पन्न करता है। विद्युत धारा प्रवाहित होने से सीधे चालक के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ संकेन्द्री वृत्त के रूप में बनता है।
चुम्बकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाओं के ये संकेन्द्री वृत्त चालक के नजदीक अधिक धने होते हैं। ये संकेन्द्री वृत्त चालक से दूर होने के साथ साथ कम घने होते जाते हैं। यह बतलाता है कि चुम्बकीय क्षेत्र की प्रबलता चालक के निक अधिक होती है, जो चालक से दूर जाने पर उत्तरोत्तर घटती जाती है।
सीधे चालक (ताम्बे के सीधे तार) में विद्युत धारा के परिमाण को बढ़ाने पर संकेन्द्री वृतों का घनत्व अधिक हो जाता है, अर्थात क्षेत्र रेखाओं कों निरूपित करने वाले संकेन्द्री वृत अधिक घने हो जाते हैं। यह बतलाता है कि जैसे जैसे तार में प्रवाहित विद्युत धारा के परिमाण में बृद्धि होती है तो किसी दिये गये बिन्दु पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र के परिमाण में भी बृद्धि हो जाती है।
निष्कर्ष
- एक सीधे चालक से विद्युत धारा प्रवाहित करने पर प्राप्त चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ चालक के चारों ओर संकेन्द्रित वृत्ताकार पैटर्न में होती हैं।
- चालक के निकट चुम्बकीय क्षेत्र की प्रबलता अधिक होती है, तथा चालक से दूरी घटने के साथ चुम्बकीय क्षेत्र की प्रबलता उत्तरोत्तर कम होती जाती है।
- चुम्बकीय क्षेत्र चालक से दूरी के समानुपाती होती है।
दक्षिण हस्त अंगुष्ठ नियम (Right-Hand Thumb Rule)
किसी विद्युत धारावाही चालक से संबद्ध चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा को दणिण हस्त अंगुष्ठ नियम के उपयोग से आसानी से किया जा सकता है।
दक्षिण – हस्त अंगुष्ठ नियम कहता है कि यदि कोई अपने दाहिने हाथ में विद्युत धारावाही चालक को इस प्रकार पकड़े कि अंगूठा विद्युत धारा की दिशा की ओर संकेत करता है, तो उँगलियाँ चालक के चारों ओर चुम्बकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाओं की दिशा में लिपटी होंगी।
इसे मैक्सवेल का कॉर्कस्क्रू नियम भी कहते हैं। यदि हम यह विचार करें कि हम किसी कॉर्क स्कू को विद्युत धारा की दिशा में आगे बढ़ा रहे हैं, तो कॉर्क स्क्रू के घूर्णन की दिशा चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा होती है।
विद्युत धारावाही वृत्ताकार पाश के कारण चुम्बकीय क्षेत्र
जब विद्युत धारा को एक वृत्ताकार (लूप) चालक से प्रवाहित किया जाता है, तो इस विद्युत धारावाही पाश के प्रत्येक बिन्दु पर उसके चारों ओर संकेन्द्री वृत्ताकार पैटर्न में चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है।
विद्युत धारावाही वृत्ताकार पाश (लूप) चालक का प्रत्येक बिन्दु एक विद्युत धारावाही सीधा चालक की तरह व्यवहार करता है।
चूँकि विद्युत धारावाही चालक के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र उससे दूरी के व्युत्क्रम पर निर्भर करता है। अत: किसी विद्युत धारावाही पाश के प्रत्येक बिन्दु पर उसके चारों ओर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र को निरूपित करने वाले संकेन्द्री वृत्तों का साइज तार से दूर जाने पर निरंतर बड़ा होता जाता है। तथा वृत्ताकार पाश (सर्कुलर लूप) के केन्द्र में पहुँचने पर वृत्तों के चाप सरल रेखा जैसे प्रतीत होने लगते हैं। इस प्रकार विद्युत धारावाही तार के प्रत्येक बिन्दु से उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ लूप के केन्द्र पर सरल रेखा जैसी प्रतीत होने लगती हैं।
चूँकि तार का प्रत्येक भाग चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं में योगदान देता है तथा लूप के भीतर सभी चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ एक ही दिशा में होती हैं।
अत: संक्षिप्त रूप में
- विद्युत धारावाही वृत्ताकार पाश का प्रत्येक बिन्दु एक विद्युत धारावाही सीधे चालक की तरह व्यवहार या कार्य करता है।
- विद्युत धारावाही वृत्ताकार पाश के प्रत्येक बिन्दु पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र संकेन्द्री वृत्ताकार होते हैं।
- चूँकि किसी विद्युत धारावाही चालक के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र उससे दूरी के व्युत्क्रम पर निर्भर करता है, अत: किसी विद्युत धारावाही पाश के प्रत्येक बिन्दु पर उसके चारों ओर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र को निरूपित करने वाले संकेन्द्री वृत्तों का साइज तार से दूर होने पर निरंतर बड़ा होता जाता है।
- वृत्ताकार पाश के केन्द्र पर पहुँचने पर चुम्बकीय क्षेत्र को निरूपित करने वाले संकेन्द्री वृत्त सरल रेखा जैसी प्रतीत होने लगती हैं।
एक से ज्यादा फेरों वाली कुंडली द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र
किसी विद्युत धारावाही तार के कारण किसी दिये गये बिन्दु पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र प्रवाहित विद्युत धारा पर अनुलोमत: निर्भर करता है।
अत: यदि दो फेरों वाली कुंडली हो, तो उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र एक फेरे वाली कुंडली द्वारा उत्पन्न क्षेत्र की तुलना में दो गुनी अधिक प्रबल होगा।
उसी प्रकार यदि तीन फेरों वाली कुंडली हो, तो उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र एक फेरे वाली कुंडली द्वारा उत्पन्न क्षेत्र की तुलना में तीन गुना अधिक प्रबल होगा।
अत: यदि n फेरों वाली कुंडली हो, तो उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र एक फेरे वाली कुंडली द्वारा उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की तुलना में n गुना अधिक प्रबल होगा।
इसका कारण यह है कि प्रत्येक फेरे में विद्युत धारा के प्रावाह की दिशा समान है, अत: प्रत्येक अतिरिक्त फेरे के चुम्बकीय क्षेत्र संयोजित हो जाते हैं। अर्थात कुंडली के फेरों की संख्यां जितनी अधिक होगी उससे विद्युत धारा प्रवाहित करने पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र उतना ही अधिक प्रबल होगा।
Reference: