धातु एवं अधातु - क्लास दसवीं विज्ञान
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NCERT अभ्यास प्रश्नों के हल
प्रश्न संख्या: 1. निम्न में से कौन सा युगल विस्थापन अभिक्रिया प्रदर्शित करता है:
(a) NaCl विलयन एवं कॉपर धातु
(b) MgCl2 विलयन एवं ऐलुमिनियम धातु
(c) FeSO4 विलयन एवं सिल्वर धातु
(d) AgNO3 विलयन एवं कॉपर धातु
उत्तर: (d) AgNO3 विलयन एवं कॉपर धातु
ब्याख्या: चूँकि कॉपर धातु सिल्वर से ज्यादा अभिक्रियाशील है, अत: कॉपर, AgNO3 विलयन से सिल्वर (Ag) को विस्थापित कर कॉपर नाइट्रेट बनाता है। अत: यह एक विस्थापन अभिक्रिया है।
प्रश्न संख्या: 2. लोहे के फ्राइंग पैन (frying pan) क़ो जंग से बचाने के लिए निम्न में से कौन सी विधि उपयुक्त है:
(a) ग्रीज लगाकर
(b) पेंट लगाकर
(c) जिंक की परत चढ़ाकर
(d) ऊपर के सभी
उत्तर: (c) जिंक की परत चढ़ाकर
ब्याख्या: ग्रीज या पेंट का उपयोग खाना बनाने वाले बर्तनों में नहीं किया जा सकता है, अत: लोहे के फ्राइंग पैन को जिंक की परत चढ़ाकर जंग लगने से बचाया जा सकता है।
प्रश्न संख्या: 3. कोई धातु ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया कर उच्च गलनांक वाला यौगिक निर्मित करती है। यह यौगिक जल में विलेय है। यह तत्व क्या हो सकता है?
(a) कैल्सियम
(b) कार्बन
(c) सिलिकन
(d) लोहा
उत्तर: (a) कैल्सियम
ब्याख्या: कैल्सियम ऑक्साइड जल में घुलनशील है तथा इसका गलनांक उच्च है।
जबकि सिलिकन तथा लोहे का ऑक्साइड जल में अघुलनशील है। कार्बन का ऑक्साइड अर्थात कार्बन डाइऑक्साइड जल में घुलनशील है, परंतु यह एक गैस है।
अत: विकल्प (a) कैल्सियम सही उत्तर है।
प्रश्न संख्या: 4. खाद्य पदार्थ के डिब्बों पर जिंक की बजाय टिन का लेप होता है क्योंकि
(a) टिन की अपेक्षा जिंक मँहगा है
(b) टिन की अपेक्षा जिंक का गलनांक अधिक है
(c) टिन की अपेक्षा जिंक अधिक अभिक्रियाशील है
(d) टिन की अपेक्षा जिंक कम अभिक्रियाशील है
उत्तर: (c) टिन की अपेक्षा जिंक अधिक अभिक्रियाशील है
प्रश्न संख्या: 5. आपको एक हथौड़ा, बैटरी, बल्ब, तार एवं स्विच दिया गया है
(a) इनका उपयोग कर धातुओं एवं अधातुओं के नमूनों के बीच आप विभेद कैसे कर सकते हैं?
(b) धातुओं एवं अधातुओं में विभेदन के लिए इन परीक्षणों की उपयोगिता का आकलन कीजिए।
उत्तर: धातु विद्युत का सुचालक होता है, तथा अघातवर्धनीय होता है, अर्थात इसे पीट कर पतले चादर में बदला जा सकता है।
(a) सर्वप्रथम बैटरी, बल्ब, तार तथा स्विच की मदद से दिये गये नमूनों के चालकता की जाँच किया जाता है। वे पदार्थ जो विद्युत का चालन करते हैं, वे धातु हैं तथा जो चालक नहीं हैं, अधातु हैं।
चूँक़ि ग्रेफाइट एक ऐसा अधातु है, जो विद्युत का चालक होता है।
अत: अलग किये गये उन पदार्थों का जो विद्युत का चालक है, को हथौड़े से पीट कर उसकी अघातवर्धनीयता की जाँच करेंगे, जो पदार्थ पीटने से टुकड़ों में नहीं टूटता है, वे धातु हैं, तथा जो टुकड़ों में टूट जायेगा वे अधातु हैं।
(b) चूँकि ग्रेफाइट, जो एक अधातु है, विद्युत का चालक है, परंतु अघातवर्ध्य नहीं है। अत: धातु तथा अधातु में विभेद करने के लिये दिये गये नमूनों की चालकता तथा अघातवर्ध्यनीयता दोनों की जाँच आवश्यक है। अत: दोनों ही परीक्षण आवश्यक हैं।
प्रश्न संख्या: 6. उभयधर्मी ऑक्साइड क्या होते हैं? दो उभयधर्मी ऑक्साइडों का उदाहरण दीजिए।
उत्तर: वैसे ऑक्साइड जो अम्ल के साथ क्षारक की तरह तथा क्षारक के साथ अम्ल की तरह व्यवहार करते हैं, उभयधर्मी ऑक्साइड (Amphoteric Oxide) कहलाते हैं।
उदारहण: ऐलुमिनियम ऑक्साइड तथा जिंक ऑक्साइड
ऐलुमिनियम ऑक्साइड का हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ प्रतिक्रिया जब ऐलुमिनियम ऑक्साइड हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ प्रतिक्रिया करता है, तो ऐलुमिनियम क्लोराड तथा जल बनाता है। इस अभिक्रिया में ऐलुमिनियम ऑक्साइड क्षारक की तरह व्यवहार करता है।
ऐलुमिनियम ऑक्साइड का सोडियम हाइड्रोक्साइड के साथ अभिक्रिया जब ऐलुमिनियम ऑक्साइड सोडियम हाइड्रोक्साइड के साथ अभिक्रिया करता है, तो यह अम्ल की तरह व्यवहार करता है, तथा सोडियम ऐलुमिनेट तथा जल बनाता है।
जिंक ऑक्साइड का हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ अभिक्रिया
जब जिंक ऑक्साइड हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ प्रतिक्रिया करता है, तो जिंक क्लोराइड तथा जल बनाता है। इस अभिक्रिया में जिंक ऑक्साइड क्षार की तरह व्यवहार करता है।
जिंक ऑक्साइड का सोडियम हाइड्रोक्साइड के साथ अभिक्रिया
जिंक ऑक्साइड सोडियम हाइड्रोक्साइड के साथ अभिक्रिया कर सोडियम जिंकेट तथा जल बनाता है। इस अभिक्रिया में जिंक ऑक्साइड अम्ल की तरह व्यवहार करता है।
प्रश्न संख्या: 7. दो धातुओं का नाम बताइए जो तनु अम्ल से हाइड्रोजन को विस्थापित कर देंगे तथा दो धातुएँ जो ऐसा नहीं कर सकती हैं।
उत्तर: जिंक तथा मैग्नीशियम तनु अम्ल के साथ प्रतिक्रिया कर हाइड्रोजन विस्थापित करते हैं। परंतु कॉपर तथा सिल्वर तनु अम्ल के साथ प्रतिक्रिया नहीं करते तदनुसार हाइड्रोजन विस्थापित नहीं करते हैं।
जिंक का तनु सल्फ्युरिक अम्ल के साथ प्रतिक्रिया
जिंक तनु सल्फ्युरिक अम्ल के साथ प्रतिक्रिया कर हाइड्रोजन गैस विस्थापित करता है तथा जिंक सल्फेट बनाता है।
मैग्नीशियम का तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ प्रतिक्रिया
मैग्नीशियम तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ प्रतिक्रिया कर हाइड्रोजन गैस विस्थापित करता है तथा मैग्नीशियम क्लोराइड बनाता है।
प्रश्न संख्या: 8. किसी धातु M के विद्युती अपघटनी परिष्करण में आप एनोड, कैथोड एवं विद्युत अपघट्य किसे बनाएँगे?
उत्तर: किसी धातु M विद्युती अपघटनी परिष्करण (Electrolytic refining) में
(a) अशुद्ध धातु M की एक मोटी पट्टी को एनोड बनाया जाता है।
(b) शुद्ध धातु M की एक पतली पट्टी को कैथोड बनाया जाता है।
(c) धातु M का एक लवण जो जल में घुलनशील हो को विद्युत पघट्य (Electrolyte) के रूप में लिया जाता है।
प्रश्न संख्या: 9. प्रत्यूष ने सल्फर चूर्ण को स्पैचुला में लेकर उसे गर्म किया। चित्र के अनुसार एक परखनली को उलटा करके उसने उत्सर्जित गैस को एकत्र किया
(a) गैस की क्रिया क्या होगी
(i) सूखे लिटमस पत्र पर?
(ii) आर्द्र लिटमस पत्र पर?
(b) ऊपर की अभिक्रियाओं के लिए संतुलित रासायनिक अभिक्रिया लिखिए।
उत्तर:
(a) गैस की क्रिया
(i) सूखे लिटमस पत्र पर: गैस की सूखे लिटमस पत्र पर कोई क्रिया नहीं होगी। क्योंकि जल के अनुपस्थिति में अम्ल या क्षार सूखे लिटमस पत्र के रंग को नहीं बदलता है।
(ii) आर्द्र लिटमस पत्र पर: चूँकि इस अभिक्रिया में निकलने वाला गैस सल्फर डाइऑक्साइड है, चूँकि सल्फर डाइऑक्साइड एक अधातु का ऑक्साइड है, तथा अधातु के ऑक्साइड अम्लीय गुण वाले होते हैं, अत: यह आर्द्र ब्लू लिटमस पत्र को लाल रंग में बदल देगा।
(b) ऊपर की अभिक्रियाओं के लिए संतुलित रासायनिक अभिक्रिया
जब सल्फर को हवा में गर्म किया जाता है या जलाया जाता है, तो यह सल्फर डाइऑक्साइड गैस देता है।
प्रश्न संख्या: 10. लोहे को जंग से बचाने के लिए दो तरीके बताइए।
उत्तर: (a) लोहे से बने वस्तु पर पेंट चढ़ाकर (b) लोहे से बने वस्तु पर ग्रीज लगाकर
ब्याख्या:
लोहा ऑक्सीजन तथा जल के साथ प्रतिक्रिया कर आयरन ऑक्साइड बनाता है, जिसे जंग कहा जाता है। लोहा वायुमंडल में उपस्थित जल के कणों तथा ऑक्सीजन के साथ प्रतिक्रिया करता है, जिसके कारण लोहे में जंग लग जाता है। अत: लोहे को जल तथा ऑक्सीजन दोनों में से किसी एक के संपर्क में आने से रोक देने पर जंग से बचाया जा सकता है।
लोहे से बने वस्तुओं पर पेंट या ग्रीज या जिंक आदि की परत चढ़ाकर उसे ऑक्सीजन तथा जल के संपर्क में आने से बचाया जाता है, जिससे लोहे से बने वस्तुओं को जंग से बचाया जा सकता है।
प्रश्न संख्या: 11. ऑक्सीजन के साथ संयुक्त होकर अधातुएँ कैसा ऑक्साइड बनाती हैं?
उत्तर: अधातु के ऑक्साइड अम्लीय गुण वाले होते हैं, यथा कार्बन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड आदि। ये ऑक्साइड आम्लिक होते हैं।
अत: ऑक्सीजन के साथ संयुक्त होकर अधातुएँ अम्लीय गुण वाले ऑक्साइड बनाती है।
प्रश्न संख्या: 12. कारण बताइए:
(a) प्लैटिनम, सोना एवं चाँदी का उपयोग आभूषण बनाने के लिए किया जाता है।
उत्तर: प्लैटिनम, सोना एवं चाँदी धातुएँ हैं, धातु अघातवर्धनीय तथा तन्य होते हैं, जिसके कारण इन्हें पीटकर पतले शीट तथा खींचकर तार का रूप दिया जा सकता है। साथ ही ये दिये गये धातु बहुत ही कम अभिक्रियाशील हैं तथा प्रकृति में कम उपलब्ध होने के कारण मँहगे हैं।
अत: इन धतुओं, प्लैटिनम, सोना एवं चाँदी का उपयोग आभूषण बनाने के लिए किया जाता है।
(b) सोडियम, पोटैशियम एवं लीथियम को तेल के अंदर संग्रहीत किया जाता है।
उत्तर: सोडियम, पोटैशियम एवं लीथियम काफी अभिक्रियाशील होते हैं। ये जल के साथ बहुत तेजी से प्रतिक्रिया कर हाइड्रोजन गैस बनाते हैं तथा काफी उष्मा उत्सर्जित करते हैं, जिसके कारण जल के साथ प्रतिक्रिया करने पर विस्थापित हाइड्रोजन गैस में आग लग जाती है। ये हवा में उपस्थित जल के कणों के साथ भी प्रतिक्रिया करते हैं।
अत: इन धातुओं, सोडियम, पोटैशियम एवं लीथियम को हवा में उपस्थित जल के कणों के साथ प्रतिक्रिया तथा जल के साथ प्रतिक्रिया कर किसी अप्रत्याशित दुर्घटना को रोकने के लिए इन्हें केरोसीन तेल के अंदर संग्रहित किया जाता है।
(c) ऐलुमिनियम अत्यंत अभिक्रियाशील धातु है, फिर भी इसका उपयोग खाना बनाने वाले बर्तन बनाने के लिए किया जाता है।
उत्तर: ऐलुमिनियम हवा में उपस्थित ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया कर ऐलुमिनियम ऑक्साइड बनाता है, जिसकी एक परत ऐलुमिनियम पर चढ़ जाती है, जो ऐलुमिनियम को पुन: ऑक्सीजन से प्रतिक्रिया करने तथा उसे खराब होने से बचाती है। ऐलुमिनियम उष्मा का अच्छा चालक है।
अत: ऐलुमिनियम के उष्मा के अच्छे सुचालक होने तथा उसपर ऐलुमिनियम ऑक्साइड की परत स्वत: चढ़ जाने के कारण संक्षारित नहीं होने के गुणों के कारण इसका उपयोग खाना बनाने वाले बर्तन बनाने में किया जाता है।
(d) निष्कर्षण प्रक्रम में कार्बोनेट एवं सल्फाइड अयस्क को ऑक्साइड में परिवर्तित किया जाता है।
उत्तर: धातुओं के ऑक्साइड से अवकरण या उपचयन (Reduction) की रासायनिक प्रक्रिया द्वारा आसानी से संबंधित धातुओं को प्राप्त किया जा सकता है, जबकि कार्बोनेट तथा सल्फाइड से संबंधित धातु या अधातु प्राप्त करना अपेक्षाकृत मुश्किल है।
अत: निष्कर्षण प्रक्रम में कार्बोनेट एवं सल्फाइड अयस्क को ऑक्साइड में परिवर्तित किया जाता है।
प्रश्न संख्या: 13. आपने ताँबे के मलीन बर्तन को नींबू या इमली के रस से साफ करते अवश्य देखा होगा। यह खट्टे पदार्थ बर्तन को साफ करने में क्यों प्रभावी हैं?
उत्तर: ताँबे से बने सामान हवा में उपस्थित गैसों से प्रतिक्रिया कर कॉपर कार्बोनेट बनाता है, जिसकी परत उन सामानों पर चढ़ जाती है। कार्बोनेट की परत चढ़ जाने जाने के कारण उसकी चमक मलीन हो जाती है। कार्बोनेट क्षारीय प्रकृति का होता है।
जब कार्बोनेट की परत वाले ताम्बे के सामानों को इमली या नींबू के रस, जो कि अम्ल होते हैं, से रगड़ा जाता है, तो कार्बोनेट की परत अम्ल के साथ प्रतिक्रिया कर हट जाती है, तथा ताम्बे के बर्तन कार्बोनेट की परत हट जाने के कारण पुन: चमकने लगते हैं।
प्रश्न संख्या:14. रासायनिक गुणधर्मों के आधार पर धातुओं एवं अधातुओं में विभेद कीजिए।
उत्तर: रासायनिक गुणधर्मों के आधात पर धातुओं तथा अधातुओं में विभेद:
(a) धातु तनु अम्ल के साथ प्रतिक्रिया कर हाइड्रोजन गैस मुक्त करते हैं, जबकि अधातु तनु अम्ल के साथ प्रतिक्रिया नहीं करते हैं।
(b) धातु ऑक्सीजन के साथ संयुक्त होकर क्षारीय ऑक्साइड बनाते हैं, जबकि अधातु ऑक्सीजन के साथ संयुक्त होकर अम्लीय ऑक्साइड बनाते हैं।
(c) धातु अधातुओं के साथ जुड़कर आयनिक बंध बनाते हैं जबकि अधातु अधातु के साथ जुड़कर सहसंयोजी बंध बनाते हैं।
(d) धातु जल के साथ अभिक्रिया कर हाइड्रोजन गैस बनाते हैं, जबकि अधातु जल के साथ अभिक्रिया नहीं करते हैं।
प्रश्न संख्या: 15. एक व्यक्ति प्रत्येक घर में सुनार बनकर जाता है। उसने पुराने एवं मलीन सोने के आभूषणों में पहले जैसी चमक पैदा करने का ढ़ोंग रचाया। कोई संदेह किए बिना ही एक महिला अपने सोने के कंगन उसे देती है जिसे वह एक विशेष विलयन में डाल देता है। कंगन नए की तरह चमकने लगते हैं लेकिन उनका वजन अत्यंत कम हो जाता है। वह महिला बहुत दुखी होती है तथा तर्क वितर्क के पश्चात उस व्यक्ति को झुकना पड़ता है। एक जासूस की तरह क्या आप उस विलयन की प्रकृति के बारे में बता सकते हैं।
उत्तर: अम्लराज (Aquaregia) एक बहुत ही प्रबल अम्ल है, जो हाइड्रोक्लोरिक अम्ल तथा नाइट्रिक अम्ल को 3:1 के अनुपात में मिलाने से बनता है। अम्लराज (Aquaregia) में सोने घुल जाता है।
अत: वह विलयन जिसमें ढ़ोंगी व्यक्ति ने महिला के सोने के कंगन को डुबाया था वह विलयन अम्लराज (Aquaregia) था। अम्लराज (Aquaregia) में सोने के कंगन को डुबाने से कंगन का उपरी परत घुल गया तथा कंगन नये की तरह चमकने लगा परंतु सोने की एक मात्रा अम्लराज (Aquaregia) में घुल जाने के कारण कंगन का वजन कम हो गया।
प्रश्न संख्या: 16. गर्म जल का टैंक बनाने में ताँबे का उपयोग होता है परंतु इस्पात (लोहे की मिश्रातु) का नहीं। इसका कारण बताइए।
उत्तर:
(a) कॉपर में लोहे की तरह जंग नहीं लगता है।
(b) कॉपर उष्मा का अच्छा सुचालक है।
(c) कॉपर को नोबल मेटल कहा जाता है क्योंकि यह लोहे से कम अभिक्रियाशील है।
उपरोक्त तीनों गुण कॉपर को इस्पात (लोहे की मिश्रातु) से अधिक टिकाऊ बनाते हैं, अत: गर्म जल का टैंक बनाने में ताम्बे का उपयोग होता है परंतु इस्पात का नहीं।
Reference: