नियंत्रण एवं समन्वय - क्लास दसवीं विज्ञान
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जंतु तंत्रिका तंत्र
जंतुओं में तंत्रिका तंत्र का कार्य है सूचनाओं का आदान प्रदान। तंत्रिका तंत्र, तंत्रिका कोशिकाओं से बना हुआ एक अत्यधिक ही जटिल जाल के जैसा है जो पूरे शरीर में फैला होता है। तंत्रिका तंत्र पर्यावरण से सूचनाएँ एकत्रित कर उसे मस्तिष्क तक तथा मस्तिष्क से सूचना लेकर उसे शरीर के वांछित भाग तक पहुँचाता है। बहुकोशिकीय जीवों, विशेषकर मनुष्यों में एक सुविकसित तंत्रिका तंत्र होता है। तंत्रिका तंत्र को अंग्रेजी में "नर्वस सिस्टम (Nervous System)" कहा जाता है।
तंत्रिका कोशिका
तंत्रिका तंत्र की रचनात्मक तथा क्रियात्मक इकाई को तंत्रिका कोशिका कहा जाता है। तंत्रिका कोशिका को अंग्रेजी में "न्यूरॉन (Neuron)" कहा जाता है।
कई तंत्रिका कोशिका मिलकर तंत्रिका ऊतक का निर्माण करती है तथा कई तंत्रिका ऊतक मिलकर सम्पूर्ण तंत्रिका तंत्र बनाती है। तंत्रिका ऊतक को अंग्रेजी में "नर्वस टिशु (Nervous Tissue)" कहा जाता है।
तंत्रिका कोशिका में कोशिकीय विभाजन नहीं होता है जिसके कारण तंत्रिका कोशिका के नष्ट हो जाने के पश्चात इनका निर्माण नहीं होता है। अल्जाइमर जैसे रोग तंत्रिका कोशिका के नष्ट हो जाने के कारण ही होते हैं।
तंत्रिका कोशिकाएँ प्राय: हमारी ज्ञानेन्द्रिय यथा आंतरिक कर्ण, नाक, जिह्वा, आदि में स्थित होती हैं। जीह्वा में स्थित तंत्रिका कोशिकाएँ स्वाद के बारे में जानकारी देती हैं जबकि नाक में स्थित कोशिकाएँ गंध की।
तंत्रिका कोशिका की बनावट
तंत्रिका कोशिका एक लम्बी आकृति की होती है जिसे मुख्यत: तीन भागों में बाँटा जा सकता है :– अगला भाग: तंत्रिका काय, बीच वाला भाग: तंत्रिकाक्ष, तथा पीछे का भाग: तंत्रिका का अंतिम सिरा।
तंत्रिका काय: तंत्रिका कोशिका का अगला भाग: बनाबट तथा कार्य
तंत्रिका कोशिका का अगला भाग अर्थात मुख्य भाग एक तारे के सदृश आकृति बनाती है जिसमें पतले बाल जैसी द्रुमिकाएँ बनी होती हैं।
तंत्रिका कोशिका के अगले भाग को कोशिका कायकहा जाता है। कोशिका काय के मध्य में केंद्रक स्थित होती है तथा चारों ओर पतली शाखाएँ होती हैं। शाखाएँ फिर उप शाखाओं में बंटी होती हैं। कोशिका काय के चारों ओर बालों के जैसी इन शाखाएँ जैसी द्रुमिका कहलाती हैं। कोशिका काय को अंग्रेजी में "सेल बॉडी (Cell body)" कहा जाता है तथा कोशिका काय के चारों ओर जुड़ी द्रुमिकाओं को अंग्रेजी में "डेंड्राइट (Dendrite)" कहा जाता है।
कोशिका काय से जुड़ी द्रुमाकाओं के सिरे सूचना या सूचना के संकेत को प्राप्त करती है। सूचनाएँ प्राप्त करने के बाद कोशिका काय एक रासायनिक क्रिया द्वारा विद्युत आवेग पैदा करती है। यहाँ से सूचनाएँ विद्युत आवेग द्वारा तंत्रिका कोशिका के दूसरे भाग में पहुँचती है।
कोशिका काय के चारों ओर की द्रुमाकृतियाँ सूचनाओं के संकेत को ग्रहण करने के लिए विशिष्टीकृत होती हैं।
तंत्रिकाक्ष: तंत्रिका कोशिका के बीच का भाग: बनाबट तथा कार्य
तंत्रिका कोशिका के बीच वाले भाग को तंत्रिकाक्ष कहा जाता है। तंत्रिकाक्ष एक लम्बी बेलनाकार आकृति की होती है। तंत्रिकाक्ष एक लम्बा तंतु होता है। तंत्रिकाक्ष को अंग्रेजी में एक्सॉन (Axon)कहा जाता है।
तंत्रिकाक्ष एक आवरण से ढ़की होती है। तंत्रिकाक्ष के आवरण को मैलेन शीथ कहा जाता है। तंत्रिकाक्ष के बाहरी आवरण अर्थात मैलेन शीथ छोटे छोटे हिस्सों में बँटे होते हैं, अर्थात तंत्रिकाक्ष के दो बाहरी आवरण (मैलेन शीथ) के बीच एक प्रकार का अंतराल बना होता है। दो मैलेन शीथ के बीच के अंतराल को रेनवियर की नोड कहा जाता है। मैलेन शीथ का कार्य सूचनाओं से युक्त दो विद्युत आवेग को मिलने से रोकना होता है।
तंत्रिका कोशिका का अंतिम सिरा: बनावट तथा कार्य
तंत्रिका कोशिका का अंतिम सिरा कुछ शाखाओं में विभाजित रहती है तथा हाथ के सदृश आकृति बनाती है।
तंत्रिका कोशिका का अंतिम सिरा, तंत्रिकाक्ष से होकर आती हुई सूचनाओं के रासायनिक संकेतों को दूसरी तंत्रिका कोशिका तक पहुँचाना सुलभ कराती है।
अंतर्ग्रथन: दो तंत्रिका कोशिका के बीच रिक्त स्थान
दो तंत्रिका कोशिकाओं के बीच कुछ रिक्त स्थान होता है जिसे अंतर्ग्रथन कहा जाता है। अंतर्ग्रथन को अंग्रेजी में सिनेप्स (Synapse) कहा जाता है।
तंत्रिकाक्ष के अंत में विद्युत आवेग कुछ रसायनों का विमोचन करता है जो सूचनाओं को अंतर्ग्रथन (सिनेप्स) को पार कराना सुलभ कराता है तथा अगले तंत्रिका कोशिका इन सूचनाओं को ग्रहण कर लेती हैं।
तंत्रिका कोशिका के तंत्रिका काय के चारों ओर की द्रुमिकाएँ सूचना को एकत्र करती हैं। तंत्रिका काय रसायनों का विमोचन कर सूचनाओं को विद्युत आवेग द्वारा तंत्रिकाक्ष होते हुए तंत्रिका के अंतिम सिरे तक पहुँचाती है। तंत्रिकाक्ष के अंत में फिर से विशिष्ट रसायनों का विमोचन होता है जिससे विशिष्टीकृत विद्युत आवेग पैदा होती है जो सूचनाओं को दो तंत्रिका कोशिका के बीच के अंतर्ग्रथन [दो तंत्रिका कोशिका के बीच रिक्त स्थान (सिनेप्स)] पार कराती है जिसे दूसरे तंत्रिका कोशिका की द्रुमिकाओं द्वारा ग्रहण कर लिया जाता है। यह प्रक्रम लगातार चलकर सूचनाएँ शरीर के एक भाग से मस्तिष्क तक पहुँचाने का कार्य करती है।
तंत्रिका कोशिका के प्रकार
कार्य के आधार पर तंत्रिका कोशिका मुख्यत: तीन प्रकार की होती हैं:
(क) संवेदी तंत्रिका कोशिका
(ख) प्रेरक तंत्रिका कोशिका, तथा
(ग) बहुध्रुवी तंत्रिका कोशिका
(क) संवेदी तंत्रिका कोशिका
संवेदी तंत्रिका कोशिकाएँ सूचनाओं को शरीर के भाग से ग्रहण कर मस्तिष्क की ओर पहुँचाने का कार्य करती है।
(ख) प्रेरक तंत्रिका कोशिका
प्रेरक तंत्रिका कोशिका मस्तिष्क से सूचना ग्रहण कर शरीर के दूसरे भाग तक पहुँचाती है।
(ग) बहुध्रुवी तंत्रिका कोशिका
जैसा कि "बहुध्रुवी" नाम से स्पष्ट है, बहुध्रुवी तंत्रिका कोशिका सूचनाओं का आदान प्रदान शरीर के भागों से मस्तिष्क की ओर तथा मस्तिष्क से शरीर के अन्य भागों तक करती है। बहुध्रुवी तंत्रिका कोशिका मस्तिष्क के अग्र भाग में पाया जाता है।
तंत्रिका ऊतक
कई तंत्रिका कोशिका मिलकर तंत्रिका ऊतक का निर्माण करते हैं। तंत्रिका ऊतक तंत्रिका कोशिकाओं का एक संगठित जाल होता है। तंत्रिका ऊतक शरीर के एक भाग से सूचनाएँ ग्रहण कर मस्तिष्क तक तथा मस्तिष्क से शरीर के अन्य भागों तक पहुँचाने के लिए विशिष्ट रूप से बने होते हैं।
Reference: