मानव नेत्र तथा रंग विरंगा संसार - क्लास दसवीं विज्ञान

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प्रिज्म से प्रकाश का अपवर्तन

Refraction of Light through a prism

जब प्रकाश की किरण विरल माध्यम से सघन माध्यम में तिरछा प्रवेश करती है, तो अभिलम्ब की ओर मुड़ जाती है या झुक जाती है तथा जब सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करती है, तो अभिलम्ब से दूर हट जाती है। प्रकाश के विरल माध्यम से सघन माध्यम में प्रवेश करने के बाद अभिलम्ब की ओर मुड़ना तथा सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रवेश करने के बाद अभिलम्ब से दूर मुड़ने की प्रक्रिया को प्रकाश का अपवर्तन कहते हैं।

प्रिज्म (Prism)

पारदर्शी पदार्थ, जैसे सीसा, प्लास्टिक आदि से बनी वैसी वस्तु जिसमें कम से कम आयताकार पार्श्व पृष्ठ आपस में न्यूनकोण (90 डिग्री से कम का कोण) बनाते हों, प्रिज्म कहलाते हैं।

एक प्रिज्म के दो त्रिभुजाकार आधार तथा तीन आयताकार पृष्ठ होते हैं। ये पृष्ठ एक दूसरे पर झुके होते हैं तथा न्यूनकोण (90 डिग्री से कम का कोण) बनाते हैं। इसके दो पार्श्व फलकों के कोण को प्रिज्म कोण कहते हैं।

प्रिज्म के द्वारा प्रकाश का अपवर्तन (Refraction of Light through a Prism)

जब प्रकाश की किरण हवा से काँच के प्रिज्म में प्रवेश करता है, तो अभिलम्ब की तरफ झुक जाता है। पुन: जब ये प्रकाश की किरण प्रिज्म से बाहर हवा में निकलता है तो अभिलम्ब से दूर झुक जाते हैं।

प्रिज्म से प्रकाश का यह अपवर्तन भी स्नेल के नियम का पालन करते हैं। स्नेल के नियम के अनुसार

(i) आपतित किरण (incident ray), अपवर्तित किरण (refractive ray) तथा दोनों माध्यमों को पृथक करने वाले पृष्ठ के आपतन बिन्दु (point of incidence) पर अभिलम्ब (normal) सभी एक ही तल में होते हैं।

(ii) प्रकाश के किसी निश्चित रंग तथा निश्चित माध्यमों के युग्म (pair of medium) के लिये आपतन कोण (angle of incidence) की ज्या (sine) तथा अपवर्तन कोण (angle of refraction) की ज्या (sine) का अनुपात (ratio) स्थिर (constant) होता है

इस नियम को स्नेल का अपवर्तन नियम (Snell's Law of Refraction) भी कहते हैं।

यदि `i` आपतन कोण (angle of incidence) हो तथा `r` अपवर्तन कोण (angle of refraction) हो तब

`sin\i/sin\r = ` स्थिरांक (constant)

इस स्थिरांक मान को दूसरे माध्यम का पहले माध्यम के सापेक्ष अपवर्तनांक (refractive index) कहते हैं।

मान लिया कि एक प्रकाश की किरण PQ काँच के एक प्रिज्म ABC में बिन्दु E से प्रवेश करती है। हवा से प्रिज्म में प्रवेश करने पर प्रकाश की किरण अभिलम्ब NN' की तरफ मुड़ जाती है तथा प्रिजम में EF पथ पर आगे बढ़ती है। जब प्रकाश की किरण EF प्रिज्म से बाहर आती है और हवा में प्रवेश करती है तो अभिलम्ब MM' से दूड़ मुड़ जाती है तथा RS पथ पर हवा में आगे जाती है।

यहाँ,

  • ∠A प्रिज्म कोण है।

  • PQ या PQE या PE आपतित किरण है।

  • बिन्दु E प्रिज्म की सतह पर आपतन बिन्दु है।

  • NN' आपतन बिन्दु E पर अभिलम्ब है।

  • ∠ i आपतन कोण है।

  • EF अपवर्तित किरण है।

  • PS निर्गत किरण है।

  • ∠ e निर्गत कोण है।

  • MM' निर्गत बिन्दु F पर अभिलम्ब है।

  • FS या RS या FRS निर्गत किरण है।

  • GH जिसे बिन्दु रेखा द्वारा दिखाया गया है, प्रकाश की किरण PQ का मूल पथ है।

  • GS विचलन के बाद प्रकाश की किरण क पथ है।

  • ∠D विचलन कोण है।

अत: प्रकाश की किरण प्रिज्म के प्रवेश करने के बाद अपवर्तन के पश्चात ∠D पर विचलित होती है, जिसे विचलन कोण कहते हैं। ऐसा प्रिज्म के द्वारा बनाये गये न्यून कोण, जिसे प्रिज्म कोण कहते हैं के कारण होता है। जबकि प्रकाश की एक किरण सीसे के आयताकार पट्टी से परावर्तन के बाद बाहर आती है, तो यह आपतित किरण के समानांतर जाती है।

श्वेत प्रकाश का विक्षेपण (Dispersion of white light)

प्रकाश के अवयवी वर्णों में विभाजन को विक्षेपण कहते हैं।

काँच के प्रिज्म द्वारा श्वेत प्रकाश का विक्षेपण (Dispersion of While Light By a Glass Prism)

जब श्वेत प्रकाश की किरण का एक प्रिज्म से अपवर्तन होता है, तो यह सात रंगों में टूट जाता है तथा एक सात रंगों की पट्टी का निर्माण करता है। प्रकाश के इन अवयवी वर्णों के बैंड को स्पेक्ट्रम कहते हैं। प्रकाश के ये सात रंग एक खास क्रम में होते हैं, यह क्रम है: बैंगनी (violet), जामुनी (indigo), नीला (blue), हरा (green), पीला (yellow), नारंगी (orange) तथा लाल (red)। स्पेक्ट्रम के इन रंगों को अंगरेजी के परिवर्णी शब्द VIBGYOR से याद रखा जा सकता है। परिवर्णी शब्द VIBGYOR का प्रत्येक अक्षर क्रम से एक एक रंगों के नाम को बतलाता है। यथा: V - Violet, I- indigo, B - blue, G - green, Y - yellow, O - orange, R - Red.

प्रकाश के इन अवयवी वर्णों के बैंड के रंगों को क्रमानुसार हिन्दी के एक शब्द बैनीआहपीनाला से भी याद रखा जा सकता है। बैनीआहपीनाला शब्द में बै - बैगनी, नी - नीला, आ - आसमानी, ह - हरा, पि - पीला, ना - नारंगी तथा ला - लाल रंग को सूचित करता है।

संक्षिप्त शब्द VIBGYOR का पूर्ण रूप

  • V - सूचित करता है Violet (बैगनी) को

  • I - सूचित करता है Indigo (जामुनी) को

  • B - सूचित करता है Blue (नीला) को

  • G - सूचित करता है Green (हरा) को

  • Y - सूचित करता है Yellow (पीला) को

  • O - सूचित करता है Orange (नारंगी) को

  • R - सूचित करता है Red (लाल) को

प्रकाश की किरण का अपवर्तन क्यों होता है?

प्रकाश की किरण बिभिन्न माध्यमों अलग अलग गति से चलती है। प्रकाश किरण की निर्वात मंा गति अधिकतम होती है। माध्यम के सघन होने के साथ साथ प्रकाश की गति कम होती जाती है। जैसे कि हवा पानी की तुलना में विरल माध्यम है, अत: प्रकाश की गति हवा में ज्यादा तथा पानी में कम होती है।

अत: जब प्रकाश की किरण एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करती है, तो गति में परिवर्तन के कारण एक खास कोण पर झुक जाती है, जिसे प्रकाश का अपवर्तन कहते हैं।

प्रकाश के किरण के मुड़ने या झुकने का कोण निम्नांकित बातों पर निर्भर करता है:

(i) आपतन कोण तथा

(ii) दिये गये माध्यम युग्म के अपवर्तनांक का अनुपात

प्रकाश की श्वेत किरण से हमें ये वर्ण क्यों प्राप्त होते हैं?

विभिन्न तरह के प्रकाश के तरंगों या रंगों का अपवर्तनांक अलग अलग माध्यम में अलग अलग होता है। प्रकाश के अलग अलग तरंगों या रंगों के अपवर्तनांक में दिये गये माध्यम युग्म में अंतर प्रकाश का विक्षेपण कहलाता है।

यह कारण है कि प्रकाश की श्वेत किरण जब एक काँच के प्रिज्म में प्रवेश करती है तथा बाहर निकलती है, तो प्रकाश में वर्तमान अलग अलग रंग की गति अलग अलग होने के कारण अपवर्तन के क्रम में अलग अलग कोणों से विचलित होती है। तथा प्रिज्म से बाहर निकलने पर अवयवी वर्णों का एक बैंड अर्थात स्पेक्ट्रम बनाती है।

आइजैक न्यूटन तथा स्पेक्ट्रम

पूर्व में प्रकाश की किरणों को रंगहीन माना जाता था तथा ऐसा माना जाता था कि प्रिज्म ही प्रकाश के सात रंगों को बनाता है। परंतु आइजैक न्यूटन ने सर्वप्रथम ने सर्वप्रथम सूर्य का स्पेक्ट्रम प्राप्त करने के लिए काँच के प्रिज्म का उपयोग किया तथा एक दूसरा प्रिज्म उपयोग करके उन्होंने श्वेत प्रकाश के किरण का पूँज प्राप्त किया, तथा बतलाया कि सूर्य का प्रकाश सात रंगों से मिलकर बना है, एवं यह बतलाया कि कोई भी प्रकाश जो सूर्य के प्रकाश के स्दृश स्पेक्ट्रम बनाता है, प्राय: श्वेत प्रकाश कहलाता है।

प्रकाश की श्वेत किरण बिभिन्न आवृति के किरणों का समिश्रण है। अत: जब प्रकाश की श्वेत किरण एक प्रिज्म से गुजरती है, तो अलग अलग आवृति की किरणें की गतियाँ अलग अलग तरीके से कम होने के कारण अलग अलग कोणों पर झुक जाती है, तथा प्रकाश का एक स्पेक्ट्रम बनाती है।

लाल रंग के किरण की आवृति सबसे ज्यादा होती है, अत: यह सबसे कम कोण पर मुड़ती है, जबकि बैगनी रंग के किरण की आवृति सबसे कम होती है, और यह अधिकतम कोण पर मुड़ती है।

लाल रंग तथा बैगनी रंगों की आवृति अर्थात गति में इस अंतर के कारण स्पेक़्ट्रम में लाल रंग सबसे उपर तथा बैगनी रंग सबसे नीचे रहता है या दिखाई देता है।

लाल रंग को यातायात को सुचारू रूप से चलाने के लिये क्यों रूकने के संकेत के लिये क्यों उपयोग किया जाता है?

लाल रंग के प्रकाश की आवृति अर्थात गति सबसे ज्यादा होती है, जिसके कारण लाल रंग अन्य रंगों की अपेक्षा ज्यादा दूरी तय करता है, जिसके कारण लाल रंग दूर से ही आसानी से दिख जाता है। तथा वाहनों को दूर से ही रूकने का संकेत या खतरे की सूचना मिल जाती है। इसी कारण से यातायात में लाल रंग का उपयोग रूकने या खतरे के संकेत के लिये उपयोग किया जाता है।

इंद्रधनुष (Rainbow)

इंद्रधनुष (Rainbow) एक प्राकृतिक स्पेक़्ट्रम है, जो कि आकाश में प्राय: बर्षा के तुरंत बाद दिखाई देता है। इंद्रधनुष (Rainbow) वायुमंडल में उपस्थित जल की सूक्ष्म बूंदों द्वारा सूर्य के प्रकाश के परिक्षेपण के कारण प्राप्त होता है। बर्षा के बाद वायुमंडल में वर्तमान जल की सूक्ष्म बूँदें छोटे प्रिज्मों की तरहा कार्य करती है। सूर्य से आपतित किरणों को ये बूंदें अपवर्तित तथा विक्षेपित तथा परावर्तित करती हैं। प्रकाश के परिक्षेपण तथा आंतरिक परावर्तन के कारण बिभिन्न वर्ण प्रेक्षक के नेत्रों तक पहुँचते हैं, जिसे इंद्रधनुष (Rainbow) कहा जाता है।

इंद्रधनुष (Rainbow) सदैव सूर्य के विपरीत दिशा में बनता है।

कृत्रिम इंद्रधनुष (Rainbow) कैसे बनायें?

  • सीसे का एक ग्लास या बीकर लिजिए।

  • ग्लास को साफ जल से भरिये

  • किवाड़ या खिड़की के किसी छिद्र से आती प्रकाश की तिरछी पतली पुँज को ग्लास होकर गुजरने दिजिये। इसके लिये ग्लास को सही जगह पर सामंजित किजिये।

  • ग्लास के दूसरी तरफ प्रकाश के किरण के विपरीत दिशा में कागज का एक पर्दा या श्वेत वस्त्र का पर्दा रखिये।

  • आप देखेंगे कि पर्दे पर इंद्रधनुष (Rainbow) की तरह ही सात रंगों का स्पेक्ट्रम बनता है।

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