राग देश: बंदिश और स्वरलिपि: मानत ना बड़ जोरि करत अब



राग देश: परिचय

राग देश का आरोह: सा, रे म, प नी, सां

राग देश का अवरोह: सां नि ध, प, ध म, ग रे, ग सा।

राग देश का पकड़: रे म प, नि, ध प

राग देश की जाति: औडव-सम्पूर्ण

राग देश की उत्पत्ति : खमाज थाट

राग देश में वर्जित स्वर : आरोह में गंधार (ग) तथा धैवत (ध)

राग देश का वादी स्वर : ऋषम (रे)

राग देश का सम्वादी स्वर : पंचम (प)

राग देश के गाने का समय : रात्रि का दूसरा प्रहर

राग देश बंदिश-2

मानत ना बड़ जोरि करत अब, निस दिन जानत पर घर ना।

श्री बृद्नावन के कुंज गलिन में, गोपी संग मिलि रास रचावत।

दधि मोरि छिन्ही मटुकिया फोरि, जाये कहूँ गिरिजा घर ना।

राग देश की यह बंदिश (मानत ना बड़ जोरि करत अब . . . . ) की स्वरलिपि तीन ताल 16 मात्रा मध्य लय में दी गयी है।

तीन ताल : 16 मात्रा

धा धिं धिं धा
X 2 3 4
धा धिं धिं धा
5 6 7 8
ता तिं तिं ता
0 10 11 12
ता धिं धिं धा
13 14 15 16

राग देश बंदिश स्वरलिपि (2): तीन ताल (16) मात्रा: मध्य लय

स्थायी: राग देश बंदिश स्वरलिपि

रे रे
मा S
0 10 11 12
नी नी
ना S
13 14 15 16
सां सां सांरे
जो S रि कS
X 2 3 4
नी
5 6 7 8

स्थायी: राग देश बंदिश स्वरलिपि दूसरी पंक्ति

रे रे
नि दि
0 10 11 12
जा S
13 14 15 16
X 2 3 4
धप मग रेग सा–
नाS SS SS SS
5 6 7 8

अंतरा: राग देश बंदिश स्वरलिपि

श्री S बृं दा
0 10 11 12
नी
के S
13 14 15 16
सां सां सां
कुं S
X 2 3 4
नी नी सां
ली में S
5 6 7 8

अंतरा: राग देश बंदिश स्वरलिपि दूसरी पंक्ति

रें रें
गो S पी S
0 10 11 12
रें सां सां
सं मि ली
13 14 15 16
नी सां रें सां
रा S
X 2 3 4
नि
चा S
5 6 7 8

अंतरा: राग देश बंदिश स्वरलिपि तीसरी पंक्ति

रें रें रें गं
धि मो री
0 10 11 12
रेंगं मं गं रें
छिS S न्हीं
13 14 15 16
सां नी सां रें
टु कि या S
X 2 3 4
सां नी सां
फो S री S
5 6 7 8

अंतरा: राग देश बंदिश स्वरलिपि चौथी पंक्ति

सां रें सां नी
जा S ये
0 10 11 12
हूँ S गि रि
13 14 15 16
जा S
X 2 3 4
मप मग रेग सा–
नाS SS SS SS
5 6 7 8

तान: राग देश के लिए

आठ मात्रा की तान : राग देश

(1) निसा रेम पनि सांरें सानि धप मग रेसा

(2) मप निसां रेंगं रेंसा निध पम गरे सा–

(3) सांनि धप मग रेसा नि ̣सा रेम पनि सां–