राग भूपाली: स्वरलिपि: नमन करूँ चतुर श्री गुरू चरणा



राग भूपाली: परिचय

थाट कल्याण म नी वर्जित, मानत ग स्वर वादी। प्रथम प्रहर निशि गाइए, धैवत स्वर सम्वादी॥

भूपाली राग के परिचय दोहे का शाब्दिकअर्थ: राग भूपाली की उत्पत्ति कल्याण थाट से हुयी है। इस राग में मध्यम (म) तथा निषाद (नी) वर्जित है, अर्थात प्रयोग नहीं होता है। इस राग का वादी स्वर गंधार (ग) है तथा सम्वादी स्वर धैवत (ध) है। राग भूपाली के गाने का समय रात्रि का प्रथम प्रहर है।

राग भूपाली का आरोह: सा रे ग, प , ध सां

राग भूपाली का अवरोह: सां ध प, ग, रे सा।

राग भूपाली का पकड़: ग रे सा ध ̣, सा रे ग, प ग, ध प ग, रे सा।

राग भूपाली की जाति: औडव-औडव

राग भूपाली की उत्पत्ति : कल्याण थाट

राग भूपाली में वर्जित स्वर : मध्यम (म) तथा निषाद (नी)

राग भूपाली का वादी स्वर : गंधार (ग)

राग भूपाली का सम्वादी स्वर : धैवत (ध)

राग भूपाली के गाने का समय : रात्रि का प्रथम प्रहर

राग भूपाली बंदिश (छोटा ख्याल) स्वरलिपि (Beginer Level)

नमन करूँ चतुर श्री गुरू चरणा। तन मन निर्मल कर भव तरणा॥

जोई जोई ध्यावत शुभ फल पावत। जनम मरण दु:ख सब निस्तरणा॥

राग भूपाली की यह बंदिश (नमन करूँ चतुर श्री गुरू चरणा . . . . ) की स्वरलिपि तीन ताल 16 मात्रा मध्य लय में दी गयी है।

तीन ताल : 16 मात्रा

धा धिं धिं ‌धा
X 2 3 4
धा धिं धिं धा
5 6 7 8
ता तिं तिं ता
0 10 11 12
ता धिं धिं धा
13 14 15 16

राग भूपाली बंदिश स्वरलिपि तीन ताल (16) मात्रा: मध्य लय (Beginer Level)

स्थायी: राग भूपाली बंदिश स्वरलिपि

सा सा
0 10 11 12
रे सा रे
रूँ तु
13 14 15 16
सा ध ̣ सा रे
सी री गु रू
X 2 3 4
रे
णा S
5 6 7 8

स्थायी: राग भूपाली बंदिश स्वरलिपि दूसरी पंक्ति

0 10 11 12
सां सां
नि
13 14 15 16
रे रे रे
X 2 3 4
रे सा
णा S
5 6 7 8

अंतरा: राग भूपाली बंदिश स्वरलिपि

जो जो
0 10 11 12
सां
ध्या S
13 14 15 16
सां सां सां सां
शु
X 2 3 4
सां रें सां
पा S
5 6 7 8

अंतरा: राग भूपाली बंदिश स्वरलिपि दूसरी पंक्ति

सां सां गं रें
0 10 11 12
सां सां
दु
13 14 15 16
सां सां सां
नि
X 2 3 4
रे सा
णा S
5 6 7 8